नई दिल्ली: भारत की 2007 टी-20 वर्ल्ड कप विजेता टीम के अहम सदस्य रहे रॉबिन उथप्पा ने अपने जीवन और क्रिकेट से जुड़े बड़े खुलासे किए. उन्होंने बताया कि अपने करियर में वह दो साल तक डिप्रेशन में रहे. इस दौरान वह आत्महत्या के ख्यालों से जूझते रहे. आखिरकार क्रिकेट ही एकमात्र वजह थी, जिसने उन्हें ‘बालकनी से कूदने’ से रोका. भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी20 इंटरनेशनल मैच खेल चुके उथप्पा आईपीएल 2021 में चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा थे.
जान देना चाहता था ये खिलाड़ी
रॉबिन उथप्पा साल 2020 में रॉयल राजस्थान का हिस्सा थे. इस दौरान उन्होंने रॉयल राजस्थान फाउंडेशन के एक लाइव सत्र ‘ माइंड, बॉडी एंड सोल’ में कहा था,‘मुझे याद है 2009 से 2011 के बीच यह लगातार हो रहा था और मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था. मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहा था.’
बालकनी से कूदना चाहता था ये क्रिकेटर
रॉबिन उथप्पा ने कहा ,‘मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा और अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है और मैं किस दिशा में आगे जा रहा हूं. क्रिकेट ने इन बातों को मेरे जेहन से निकाला. मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी दिक्कत होती थी.’ उथप्पा ने कहा, ‘मैं उन दिनों में इधर-उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं. लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा.’
भारतीय टीम में नहीं चुने गए थे रॉबिन उथप्पा
रॉबिन उथप्पा ने कहा कि इस समय उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया. उन्होंने कहा ,‘मैंने एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद बाहरी मदद ली, ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं.’ इसके बाद वह दौर था जब ऑस्ट्रेलिया में भारत-ए की कप्तानी के बावजूद वह भारतीय टीम में नहीं चुने गए.
मानसिक परेशानी हुई थी हावी
रॉबिन उथप्पा ने कहा ,‘पता नहीं क्यों… मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे. मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है. हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते कि कोई मानसिक परेशानी है.’ इसके बाद 2014-15 रणजी सत्र में उथप्पा ने सर्वाधिक रन बनाए. उन्होंने अभी क्रिकेट को अलविदा नहीं कहा है, लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह उन्होंने सामना किया, उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा ,‘मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है क्योंकि इससे मुझे सकारात्मकता महसूस करने में मदद मिली. नकारात्मक चीजों का सामना करके ही आप सकारात्मकता में खुश हो सकते हैं.’