सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या मठ मंदिर की वजह से पूरे विश्व में विख्यात है. मंदिर और मूर्तियों के शहर में वैसे तो लगभग 8000 मठ मंदिर है. जिसका अपना अलग इतिहास अलग मान्यता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे धर्म एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे. जिसे बहुत कम लोग ही जानते होंगे.दरअसल धर्म नगरी अयोध्या भगवान राम के साथ-साथ भगवान ऋषभदेव की भी जन्मस्थली है. जैन धर्म को मानने वाले लोग पूरे विश्व से धर्म नगरी अयोध्या आते हैं और अपने आराध्य भगवान ऋषभदेव का दर्शन पूजन करते हैं. आपको बताते चलें करोड़ों वर्ष पूर्व जैन धर्म के प्रथम तीर्थंआंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में हुआ था. जैन धर्म के संस्थापक भगवान ऋषभदेव का ऋग्वेद,अथर्ववेद, मनुस्मृति तथा भागवत आदि ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है. जैन परंपरा के मुताबिक 24 तीर्थंकर में से 5 तीर्थंकर का जन्म धर्म नगरी अयोध्या में हुआ, जिसमें आदिनाथ, अजीत नाथ, अभिनंदन नाथ सुमित नाथ और अनंतनाग शामिल है.1000 प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा किया जाएगाइन दिनों धर्म नगरी अयोध्या के जैन मंदिर में पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन चल रहा है. जिसमें 1000 प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा किया जाएगा. आयोजन 30 अप्रैल से शुरू होकर 7 मई तक चलेगा. जिसमें भगवान ऋषभदेव समेत जैन धर्म के देवी-देवताओं का अभिषेक होगा . इन दिनों पूरे देश समेत विदेशों से भी जैन धर्म को मानने वाले लोग बड़ी संख्या में धर्म नगरी अयोध्या पहुंचकर अपने आराध्य के जन्म स्थान पर पंचकल्याणक महोत्सव में पहुंचकर भक्ति भाव में सराबोर नजर आ रहे है.7 मई तक चलेगा कार्यक्रमजैन मंदिर के मंत्री डॉक्टर जीवन प्रकाश बताते हैं कि हम लोग जहां पर हैं, भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि है. धार्मिक दृष्टि से अयोध्या पूरे देश और दुनिया में एक चर्चित स्थान हो चुका है. अयोध्या में भगवान ऋषभदेव के जन्म भूमि में तीसचौबीसी तीर्थंकरों की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन चल रहा है. आज इस प्रतिष्ठान का मोक्ष कल्याणक दिवस था. लगभग एक हजार प्रतिमा यहां पर रखी गई है. उन प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा करके मंदिर में स्थापित किया जाएगा. 30 तारीख से यह कार्यक्रम शुरू हुआ है. जो आगामी 7 मई तक चलेगा अलग अलग तरीके से भगवान का अभिषेक होगा.साकुवंश भगवान ऋषभदेव की परंपराडॉक्टर जीवन प्रकाश ने बताया कि पूरे देश और विश्व में एक संदेश जा रहा है कि यह भगवान राम की जन्मभूमि है. लेकिन जिस वंश परंपरा में भगवान राम का जन्म हुआ है. ऐसी साकुवंश भगवान ऋषभदेव की परंपरा है. अयोध्या में सन 1965 में भगवान ऋषभदेव के 31 फीट ऊंची मूर्ति की स्थापना हुई थी. तब से लेकर अभी तक अयोध्या में जैन धर्म का प्रचार प्रसार चालू है. आज ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से हम लोग अयोध्या में भगवान ऋषभदेव की जन्मभूमि में यह आयोजन कर रहे हैं .5 तीर्थंअंकर की जन्मस्थली अयोध्याजैन धर्म पहले तीर्थंआंकर भगवान ऋषभदेव जो 24 तीर्थंकर है. उसमें से 5 तीर्थंअंकर की जन्मस्थली अयोध्या है. करोड़ों वर्ष पूर्व भगवान ऋषभदेव का जन्म यहीं पर हुआ था. पूरे देश दुनिया के जैन धर्म के मानने वाले लोग धर्म नगरी अयोध्या पहुंचकर अपने आराध्य भगवान ऋषभदेव का दर्शन कर अपने को धन्य मानते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : May 06, 2023, 13:47 IST
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