Ayodhya Nagar Nigam: बोर्ड से नगरपालिका फिर निगम… कैसे चली अयोध्या की सरकार? देखें 150 सालों का इतिहास

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Ayodhya Nagar Nigam: बोर्ड से नगरपालिका फिर निगम... कैसे चली अयोध्या की सरकार? देखें 150 सालों का इतिहास



सर्वेश श्रीवास्तव / अयोध्या. पूरे प्रदेश में इन दिनों नगर निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav 2023) जारी है. प्रथम चरण में कई जनपदों में चुनाव संपन्न हो गए हैं, तो वही दूसरे चरण की तैयारी में राजनैतिक पार्टियों के नेता दमखम लगा रहे हैं. अयोध्या को सजाने और संवारने की आधारशिला (Ayodhya Administration) डेढ़ सदी पहले डाली गई थी. इतने लंबे इतिहास के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के कार्यकाल में जाकर यहां नगर निगम बना. चलिए जानते हैं आजादी के पहले के सिटी बोर्ड से लेकर नगर निगम तक का क्या है पूरा इतिहास.भगवान राम के सहारे 90 के दशक में प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी ने लोकसभा पर कब्जा किया था. लगातार भगवान राम की जन्म स्थली का हस्तक्षेप देश की राजनीति पर रहा है. आज हजारों करोड़ों की परियोजनाएं परवान चढ़ रही है हालांकि पूर्ववर्ती सरकारों में उपेक्षित रहने वाली भगवान राम की नगरी अपने अस्तित्व को ही बचाने की कशमकश में रही.
वरिष्ठ पत्रकार कमलाकांत सुंदरम बताते हैं कि ब्रिटिश गवर्नमेंट के कार्यकाल में 1865 में अयोध्या और फैजाबाद को मिलाकर सिटी बोर्ड का गठन हुआ था. जिसका नाम फैजाबाद सिटी बोर्ड था. इसका पहला चुनाव देश की आजादी के बाद यानी 1947 में हुआ था. उस समय सिटी बोर्ड के पहले चेयरमैन प्रिया दत्त राम जी थे.यह वही प्रिया दत्त रामजी हैं जो 1949 को राम जन्मभूमि में रामलला के प्राकट्य से जुड़े घटनाक्रमों में चर्चा में रहे. उस समय इन्हीं प्रिया दत्त को वहां का रिसीवर बनाया गया था. 1947 से लेकर सिटी बोर्ड का चुनाव 1975 तक हुआ. उसके बाद कुछ समय तक चुनाव नहीं हुआ. उसके बाद अयोध्या और फैजाबाद नगर पालिका अलग-अलग हो गई.
जनवरी 1978 में अयोध्या नगर पालिका अस्तित्व में आई. इसके बावजूद भी अयोध्या और फैजाबाद में चुनाव नहीं हुए. 1988 और 89 में पहला चुनाव नगर पालिका का हुआ. जिसमें चेयरमैन महंत अवधेश दास शास्त्री बने और फैजाबाद में गया प्रसाद बने. लेकिन उस समय दोनों नगर पालिका में 16, 16 वार्ड हुआ करते थे और सभासदों को यह अधिकार था कि वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकें.उसके बाद 1996 में चुनाव हुआ. वार्ड संख्या बढ़ा दी गई और पार्षदों से वह अधिकार भी छीन लिया गया, जिससे वह आ विश्वास प्रस्ताव ला सकें. उसके बाद तब से लेकर लगातार 2017 तक हर पंचवर्षीय योजना के मुताबिक बोर्ड का गठन होता गया, लेकिन योगी सरकार (Yogi Adityanath Govrnment) आने के बाद 2017 में पहली बार अयोध्या नगर निगम बना और प्रथम मेयर ऋषिकेश उपाध्याय बने.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : May 05, 2023, 13:25 IST



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