रिपोर्ट: अभिषेक सिंह
गोरखपुर. प्रदेश की योगी सरकार लगातार किसानों को हाईटेक बनाने के उद्देश्य से काम कर रही है. साथ ही किसानों के लिए तरह-तरह की सुविधाएं भी मुहैया करा रही है और किसानों को परंपरागत खेती छोड़ प्राकृतिक खेती एवं ऑर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ावा देने के लिए भी तरह-तरह की योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में आज हम आपको गोरखपुर के एक ऐसे किसान से रूबरू करवाएंगे जो अपने नाम के तरह ही खेती में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं.
हम बात कर रहे हैं गोरखपुर शहर के छोटे से कस्बे जानीपुर के रहने वाले किसान इंद्रप्रकाश की जिनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था. इनके पास खेती-बाड़ी भी ठीक-ठाक थी इंद्रप्रकाश ने वर्ष 1988 में वाराणसी के यूपी कॉलेज से कृषि विषय से स्नातक की डिग्री हॉर्टिकल्चर में हासिल की. जिसके बाद यह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते इन्होंने मजबूरी में साल 2008 में खेती करना शुरू की.
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इसके बाद उन्होंने खेती में अच्छी से अच्छी फसलें उगाना शुरू किया. तो इनका नाम दूर-दूर तक फैलने लगा उत्तर प्रदेश में आज इनकी गिनती प्रगतिशील किसानों में होती है. जिले से लेकर प्रदेश और देश स्तर तक ढेरों पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं.
सफलता का सफर आसान नहीं था
इंद्रप्रकाश बताते हैं कि मौजूदा समय में उनके पास लगभग 12 बीघे खेत में टमाटर खरबूजा तरबूज खीरा है. जिसकी विभिन्न प्रकार की प्रजातियां देख कर आपको हैरानी होगी. साथ ही इनके खेतों में एक खुशी प्रजाति का खीरा है जो अगेती एवं बेहतर फलक के नाते जाना जाता है. गर्मी के मौसम में खीरा की मांग बढ़ जाती है.
इसके चलते वह इस फसल को लगाते हैं जो गर्मी शुरुआत होते ही फल देने लगता है और आज इसकी बाजार में काफी मांग भी बढ़ गई है. वहीं उन्होंने कई अन्य सब्जियों की भी खेती करना शुरू कर दिया है. यह सब खेती वह प्राकृतिक रूप से करते हैं इसमें वह किसी भी प्रकार का कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
सिंचाई की तकनीकी योजना से करते हैं खेतों की सिंचाई
प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही सिंचाई के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर से खेतों की सिंचाई करते हैं. जिससे उन्हें प्रचुर मात्रा में पानी देने में आसानी हो जाती है और फसल का भी नुकसान नहीं होता है. इंद्रप्रकाश के मुताबिक परंपरागत सिंचाई के तरीके से पहले 2 बीघे में दो श्रमिकों की जरूरत पड़ती थी. लेकिन अब पूरे खेत की सिंचाई मात्र 6 घंटे में हो जाती है. इससे हमारा समय भी बचता है और पानी की भी बचत होती है.
कई लोगों को देते हैं रोजगार
न्यूज 18 से बात करते हुए इंद्र प्रकाश ने बताया कि वर्ष के 8 महीने वह 12 से 15 लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं. जिनमें 80% तक महिलाएं होती हैं क्योंकि नर्सरी डालना उनको सुरक्षित खेत तक पहुंचाना नाजुक पौधों का रोपण निराई गुड़ाई और सुरक्षित पैकिंग में वह पुरुषों की अपेक्षा बेहतर कार्य करती हैं. इसी के साथ ही वह बताते हैं कि वर्तमान समय में लोग रसायनिक उर्वरकों कीटनाशकों का प्रयोग कर खेती कर रहे हैं. लेकिन यह सब उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसलिए हमें जैविक खेती की ओर बढ़ावा देना होगा जो हमारे स्वास्थ्य के साथ ही हमारे पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Gorakhpur news, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : April 19, 2023, 19:39 IST
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