प्रयागराज. क्या आपने कभी ऐसा सुना या सोचा है कि किसी विश्वविद्यालय का शिक्षक अपनी नौकरी छूटने के बाद किसी ऐसे पेशे को अपना जीवनयापन का जरिया बना ले जिस पेशे को अमूमन लोग निम्न कार्य समझते हैं. वर्धा विश्वविद्यालय में समाज कार्य के शिक्षक नरेंद्र दिवाकर ने यही किया और आज धोबी जी नाम से डिजिटल लॉन्ड्री का काम करते हैं. समाज कार्य को पढ़ाने वाला यह शिक्षक सिर्फ दुकान ही नहीं चलाता बल्कि सामाजिक समरसता, समानता और अधिकारों की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लेता है.प्रयागराज शहर के झलवा में एक लॉन्ड्री की दुकान है धोबी जी. बाहर से दुकान आम दुकानों की तरह है. मगर जैसे ही आप दुकान के काउंटर पर जाएंगे आपको दुकान के अंदर कपड़ों के साथ कानून, साहित्य और प्रशासन से जुड़ी किताबों के साथ महापुरुषों की तस्वीरें दिखेंगी. अचानक से ग्राहक को लगता है कि वो कहीं गलत दुकान पर तो नहीं आ गया. मगर उससे पहले नरेंद्र दिवाकर स्पष्ट कर देते हैं कि नहीं आप सही दुकान पर हैं वो कपड़े लेते हैं, धोते हैं और प्रेस करके ग्राहकों को दे देते हैं और फिर कोई किताब लेकर पढ़ने बैठ जाते हैं.विभिन्न जगहों पर मिले सम्मान के प्रशस्ति पत्रदुकान के एक कोने में आंबेडकर, संत गाडगे बाबा और चाकली ऐलम्मा जैसे बड़े सामाजिक सुधारकर्ताओं की तस्वीरें हैं और एक कोने में विभिन्न जगहों पर मिले सम्मान के प्रशस्ति पत्र. दुकान के साथ साथ यह कमरा समाज कार्य की कक्षा भी है. कोई न कोई छात्र अथवा शोध करने वाला विद्यार्थी वहां नरेंद्र दिवाकर से चर्चा परिचर्चा करता मिल जाएगा.एक समय थी विश्वविद्यालय में हनकएक समय में जब दिवाकर वर्धा विश्वविद्यालय के इलाहाबाद केंद्र में पढ़ाते थे तब भी उनके साथ छात्रों का एक बड़ा हुजूम साथ चलता था. कभी चाय की दुकान पर परिचर्चा करते मिलते तो कभी छोटी मोटी गोष्ठियों में. उनके साथ उनकी शिक्षित पत्नी ममता दिवाकर और उनके दो बेटे श्रेयस और तेजस भी रहते. सिर्फ ज्ञान देना नही बल्कि समाज के बीच जाकर उनके अधिकारों के लिए मजबूती से खड़ा होंकर उनके हक की लड़ाई लड़ने वाले नरेंद्र दिवाकर वर्तमान समय में अपने पेशे को ही सब कुछ मानते हैं और बिना किसी हिचक के अपने काम को करते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 12, 2023, 22:41 IST
Source link