प्रयागराज: शहर के चुंगी इलाके में मां आलोपशंकारी का मंदिर है. जहां नवरात्रि के नौ दिन मंत्र उच्चारण पाठ होता है. हर दिन पंडितों का समूह बोर से ही पाठ प्रारंभ कर देता है जो भी सायंकाल तक चलता है. यह प्रक्रिया प्रतिदिन मंदिर प्रांगण में की जाती है. खास बात यह है कि हर दिन अलग-अलग विधि से पूजन पाठ और श्रृंगार किया जाता है.दूसरी ओर जिस इलाके यह मंदिर स्थापित है. उस मोहल्ले का नाम भी अलोपीबाग मोहल्ला है.चैत्र नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आलोक शंकरी मंदिर पर प्रतिदिन हजारों भक्तों का जमावड़ा उमड़ा रहता है. प्रातः काल से ही दर्शनार्थियों की लंबी कतारें प्रांगण के बाहर से ही लग जाती हैं. इस मंदिर की विशेष कथाएं पौराणिक ग्रंथों में दर्ज है. आचार्य लक्ष्मी कांत शास्त्री ने बताया कियह वही स्थान है. जहां माता सती का हाथ गिरा था. मंदिर प्रांगण में कोई भी प्रतिमा की स्थापना नहीं की गई है. माता के पालना स्वरूप का पूजन दर्शन किया जाता है.चुनरी में लिपटे पालने की होती है पूजामां दुर्गा के कई स्वरूप हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए शक्तिपीठों में देवी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. देवी के इन मंदिरों में अपने विभिन्न रूपों में मां विद्यमान हैं. प्रत्येक मंदिर में मां के किसी न किसी अंग के गिरने की मूर्त निशानी मौजूद है, लेकिन संगम नगरी में मां सती का एक ऐसा शक्तिपीठ मौजूद है जहां न मां की कोई मूर्ति है और न ही किसी अंग का मूर्त रूप है. अलोपशंकरी देवी के नाम से विख्यात इस मंदिर में लाल चुनरी में लिपटे एक पालने का पूजन और दर्शन होता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : March 26, 2023, 16:34 IST
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