उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. देवभूमि की मिट्टी हमें कई हेल्दी फूड्स प्रदान करती है. इनमें से एक उत्तराखंडी फूड ऐसा भी है, जो केले और संतरे के बराबर फायदे प्रदान करता है. जिसे पहाड़ी मूला या पहाड़ी मूली कहा जाता है. Corporate Chef पवन बिष्ट ने इस रंग-बिरंगे पहाड़ी मूला के स्वास्थ्य लाभों और डिशेज के बारे में जानकारी दी.
Pahadi Moola Dishes: पहाड़ी मूला से क्या-क्या बनाया जा सकता है?विराट कोहली के रेस्तरां में बतौर कॉर्पोरेट शेफ और आरएंडडी एग्जीक्यूटिव पवन बिष्ट ने बताया कि युवा पीढ़ी इस विंटर फूड के बारे में बहुत कम जानती है. लेकिन इस पौष्टिक चीज से मूली का थेचवा, मूली की बड़ी, मूली की थेचवानी, मूली की कड़ी, मूली के पत्ते की भूजी, मूली ज्वार की रोटी, मूली आलू का झोल आदि रेसिपी बनाई जा सकती हैं.
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पहाड़ी मूला खाने के फायदे – health benefits of pahadi moolaशेफ पवन बिष्ट ने पहाड़ी मूला खाने के फायदों के बारे में भी बताया है.
पहाड़ी मूला कैसे देता है केले और संतरे को टक्करशेफ बताते हैं कि पहाड़ी मूला का स्वाद तेज तीखा होता है. जो कि मस्टर्ड फैमिली से ताल्लुक रखता है. पहाड़ी मूला में करीब 90-95 प्रतिशत पानी होता है और इसमें केले के जितना पोटैशियम और संतरे के आधा Ascorbic acid होता है. जहां Ascorbic acid स्किन, हेयर और इम्यून सिस्टम को हेल्दी बनाने के लिए जरूरी होता है, वहीं पोटैशियम हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है.
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पहाड़ी मूला के अन्य फायदे – Pahadi Moola ke fayde
यह मैग्नीशियम, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन डी और विटामिन ई का बेहतरीन स्त्रोत होता है.
मधुमेह रोगियों में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है.
कोलेस्ट्रॉल को कम करता है.
मेटाबॉलिज्म मजबूत करता है.
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, लिवर और गॉल ब्लैडर के रोगियों के लिए बेहतरीन फूड है.
इसमें एंटी-सेप्टिक, एंटी-अर्थराइटिक और एंटी-रुमेटिक गुण भी होते हैं. जो अर्थराइटिस व जोड़ों के दर्द से राहत प्रदान करते हैं.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.