रिपोर्ट: धीरेन्द्र शुक्ला
चित्रकूट. उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी चित्रकूट में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रानीपुर वन्य जीव विहार को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की सौगात दी है. वहीं, इको टूरिज्म क्षेत्र में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए जनपद के मानिकपुर ब्लॉक के मारकुंडी वन रेंज के टिकरिया गांव के करीब तुलसी जल प्रपात में यूपी का पहला कांच का पुल (ग्लास ब्रिज) बनवाने का मास्टर प्लान तैयार किया है.
ग्लास ब्रिज के मास्टर प्लान को लेकर प्राकृतिक झरने को देखने पहुंचे टूरिस्ट के साथ ही स्थानीय लोग काफी उत्साहित हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि डाकुओं के खात्मे के बाद सरकार की पॉजिटिव सोच के चलते क्षेत्र में विकास को नये पंख लगें है. प्रदेश में यह एक अनोखा ग्लास ब्रिज होगा, जिसे देखने के लिए अन्य प्रदेश से भी लोग धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचेंगे. इससे टूरिज्म क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और इसी के सहारे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. वहीं, चित्रकूट के डीएम अभिषेक आनंद ने यूपी सरकार द्वारा ईको टूरिज्म क्षेत्र में काम किया जा रहा है. रानीपुर टाइगर रिजर्व में गेट के साथ गेस्ट हाउस बनाने का काम चल रहा है. वहीं, जल प्रपात में बायोडायवर्सिटी पार्क के साथ ग्लास स्काई ब्रिज बनाने को काम किया जा रहा है. यह यूपी का पहला और देश का दूसरा ग्लास ब्रिज होगा. यह बिहार के राजगीर की तर्ज पर बनेगा.
आईएएस अफसर ने इस स्थान को बढ़ावा दियाकुछ वर्ष पहले तत्कालीन चित्रकूट जिला अधिकारी विशाख जी अय्यर की पहल पर यह वाटरफॉल अस्तित्व में आया था. वहीं, कुड़ी कहलाने वाले इस प्राकृतिक झरने का नाम शबरी जल प्रपात किया. इसके अलावा लगभग 40 लाख रुपये सौंदर्यीकरण के लिए दिये, तो सोशल मीडिया में इसका खूब प्रचार प्रसार हुआ. इसके बाद झरने को देखने के लिए बाहर जिलों से भी पर्यटक आने लगे. हालांकि वाटरफॉल के नजदीक तक पहुंचने के कारण कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी.
झरने के पास जाने से मनाहीतेज गति से बह रहे इस झरने के पास जाने में पुलिस ने रोक लगा दी.अब पर्यटकों को झरने का नजारा दूर से ही देखना पड़ता है. हालांकि ग्लास ब्रिज के चलते पर्यटकों को झरने के बीच तक पहुंचने का मौका मिलेगा, जो कि बहुत ही ज्यादा रोमांचक होगा. मास्टर प्लान के मुताबिक, एक बार में लगभग 15 पर्यटक इस ग्लास के ब्रिज के आखरी छोर पर बने केविन तक पहुंच सकेंगे. जबकि लगभग 30 फीट की ऊंचाई से गिर रहे झरने के करीब तक यह ग्लास ब्रिज पहुंचेगा.
कोल समुदाय के लोग करते हैं आसपास निवासकोल भील आदिवासी गांवों से घिरे इस जलप्रपात का नाम आदिवासी सबरी के नाम पर सबरी जल प्रपात रखा गया है. झरने पर पहुंचने के पूर्व यहां सबरी के नाम पर एक मंदिर का निर्माण भी किया गया था. हालांकि कुछ माह पूर्व इस मास्टर प्लान को तैयार करने से पहले झरने का नाम बदल कर सबरी जल प्रपात की जगह तुलसी जल प्रपात रख दिया गया है. इस प्रदेश स्तरीय ग्लास के ब्रिज के निर्माण से इको टूरिज्म को पसंद करने वाले पर्यटकों के आगमन से बीहड़ क्षेत्र का विकास निश्चित है. यही नहीं, धर्म नगरी होने के चलते लाखों श्रद्धालु जहां चित्रकूट के मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं. बता दें कि धर्म नगरी चित्रकूट का मानिकपुर विकासखंड क्षेत्र राम मूरत सोनी, गया पटेल ददुआ, बबली, गौरी यादव जैसे तमाम डाकुओं के दबदबे के लिए चर्चा में रहा है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Chitrakoot News, UP Government, UP TourismFIRST PUBLISHED : February 27, 2023, 12:58 IST
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