No government university or degree college for women in up 20 district cag audit report

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No government university or degree college for women in up 20 district cag audit report



हाइलाइट्सयूनिवर्सिटीज और डिग्री कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता कुछ खास बेहतर नहीं कैग की ऑडिट रिपोर्ट में कई अन्य चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैंप्रयागराज. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में यूनिवर्सिटीज और डिग्री कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता, रिजल्ट और गवर्नेंस को लेकर स्थिति कुछ खास बेहतर नहीं है. इस बात का खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. कैग की ऑडिट रिपोर्ट में कई अन्य चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं. प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति को लेकर 2014 से 2020 में किए गए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि यूपी के 20 जिलों में महिलाओं की शिक्षा के लिए कोई सरकारी यूनिवर्सिटी या डिग्री कॉलेज नहीं है. इस ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि यूपी में 5 जिले ऐसे हैं, जिनमें हायर एजुकेशन के लिए कोई भी सरकारी विश्वविद्यालय या डिग्री कॉलेज नहीं है.

सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में नए सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने के लिए कोई पॉलिसी भी नहीं है. प्रदेश में इस आधार पर प्राइवेट कॉलेज खोले जा रहे हैं कि जिन क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज नहीं है उन क्षेत्रों में प्राइवेट कॉलेज के लिए लोग आवेदन कर सकते हैं. उस पर सरकार निर्णय करती है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में सबसे ज्यादा महाविद्यालय हैं. जबकि मध्य भाग में कम हैं और बुंदेलखंड में सबसे कम उच्च शिक्षण संस्थान हैं.

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 18 गवर्नमेंट और 28 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज हैं. इसके अलावा 170 शासकीय महाविद्यालय, 331 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय और 6682 स्ववित्तपोषित निजी महाविद्यालय है. लेकिन इसके बावजूद यूपी में सिर्फ 25 फ़ीसदी विद्यार्थी ही उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में सिर्फ 183 कॉलेजों ने अपनी गुणवत्ता को लेकर नैक में आवेदन किया था, जिनमें से सिर्फ 29 कॉलेजों को नैक का ग्रेडेशन मिला हुआ है. प्रधान महालेखाकार बीके मोहंती के मुताबिक उच्च शिक्षा के परिणामों को लेकर कराई गई परफारमेंस ऑडिट रिपोर्ट 22 फरवरी को विधानसभा के पटल पर रखी जा चुकी है. यूपी सरकार को इसकी संस्तुतियों से भी अवगत कराया गया है.

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एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग फीसभारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इस ऑडिट रिपोर्ट में प्रदेश के दो सबसे पुराने विश्वविद्यालयों को बतौर सैंपल लिया है, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी से संबद्ध 10 महाविद्यालय ऑडिट के लिए चयनित किए गए थे. इस ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दोनों विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में एक ही कोर्स के लिए अलग-अलग फीस निर्धारित है और नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर भी पूरे नहीं पाए गए है. खासतौर पर न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत कंप्यूटर बेस्ड एजुकेशन होनी चाहिए. लेकिन ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 20 फ़ीसदी ही यह काम पूरा है. रिपोर्ट के मुताबिक विश्वविद्यालयों में लाइब्रेरी और ई-लाइब्रेरी की स्थिति ठीक है, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में लाइब्रेरी की स्थिति अच्छी नहीं पाई गई है.

विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम रिवाइज नहीं हैंपाठ्यक्रम के लिहाज से अगर बात करें तो विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम रिवाइज नहीं हैं. सिर्फ 10 फीसदी पाठ्यक्रमों को ही रिवाइज किया गया है. जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यूजीसी के जो मानक हैं उसके मुताबिक स्टूडेंट और टीचर का अनुपात भी सही नहीं है. 150 स्टूडेंट पर एक टीचर पाए गए हैं. जबकि 20 स्टूडेंट पर एक टीचर होने चाहिए. विश्वविद्यालयों में परीक्षा को लेकर यह पाया गया है कि परीक्षा और रिजल्ट में करीब 175 दिनों का विलंब है, जिससे शिक्षा पर प्रभाव पड़ रहा है. ऑडिट रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि विश्वविद्यालयों में रिजल्ट घोषित होने के बाद रिवैल्युएशन के लिए बहुत कम बच्चे अप्लाई कर रहे हैं, क्योंकि रिवैल्यूएशन की फीस 3000 रुपये तक रखी गई है. कैग ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि यह फीस भी कम होनी चाहिए. इसके अलावा विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है. खासतौर पर आर्ट के विषय में शिक्षकों की कमी ज्यादा है. विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों में रिसर्च रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं पाए गए. 30 फ़ीसदी प्रोजेक्ट बगैर रिजल्ट के बंद कर दिए गए हैं.

रिसर्च की गुणवत्ता में सुधार की जरूरतकैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में रिसर्च की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत बताई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी में संचालित हो रहे ज्यादातर कोर्सेज रोजगार परक नहीं है. पिछले 5 साल में 1000 बच्चों को ही रोजगार मिला है. कैग ने 28 कॉलेजों में देखा जहां पर कालेजों के मानक नहीं पूरी पाए गए. यूनिवर्सिटीज में प्लेसमेंट सेल भी अच्छी तरह से संचालित नहीं पाए गए. इसके साथ ही एलुमनाई मीट के लिए भी कोई खास व्यवस्था नहीं की गई है. यूनिवर्सिटीज में न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का भी पालन नहीं हो रहा है. हालांकि लखनऊ यूनिवर्सिटी में इसकी शुरुआत की गई है. बहरहाल, पहली बार भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ओर से उच्च शिक्षा में कराई गई परफारमेंस ऑडिट ने उच्च शिक्षा में बड़े सुधार की ओर इशारा किया है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Allahabad news, CAG Report, UP latest newsFIRST PUBLISHED : February 25, 2023, 06:48 IST



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