Gym Workout Tips: आज के फैशनेबल दौर में हर कोई फिट और ट्रिम दिखना चाहता है, जिसके लिए वह जिम में खूब मेहनत करते हैं. हालांकि, जिम में कसरत करने के दौरान कुछ लोग ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा रहता है. बिना वॉर्म-अप के हैवी वेट एक्सरसाइज करना खतरे के खाली नहीं है. आज की ज्यादातर युवा पीढ़ी जल्दी बॉडी बनाने के चक्कर में गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उनकी मौत भी हो जाती है. वो दिन गए जब लोग ट्रेडमिल, क्रॉस-ट्रेनर या साइकिल पर अपनी बारी का इंतजार करते थे, अब हर कोई वेट्स और मशीन सेक्शन पर ध्यान केंद्रित करते हैं. लेकिन क्या इसमें खतरा शामिल हैं? आइए डॉक्टर से जानते हैं.कहानी अभी बाकी हैलाइव टीवी
पद्मश्री डॉ. बलबीर सिंह के अनुसार, वेट ट्रेनिंग के लाभों में मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि, हड्डियों की डेंसिटी में वृद्धि, दुबली मसल्स में वृद्धि और फैट कमी, इंसुलिन सेंसिटिविटी में वृद्धि, सहनशक्ति में वृद्धि शामिल है. जो दैनिक गतिविधियों को आसानी से पूरा करने में मदद करता है. अब तक हम सभी जानते हैं कि वेट ट्रेनिंग के फायदे बहुत हैं, लेकिन बहुत अधिक वेट ट्रेनिंग के अपने नकारात्मक पहलू भी हैं.
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल (नवी मुंबई) में कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर, सलाहकार डॉ. जी आर केन ने बताया कि बहुत अधिक वजन उठाने से जोड़ों और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा, रीढ़ की चोटें, जैसे हर्नियेटेड डिस्क भी हो सकती हैं. भारी सामान उठाने से कभी-कभी दिल की धमनी भी फट सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है. दिल के मरीजों को सतर्क रहना चाहिए और अपने कार्डियोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में वर्कआउट करना चाहिए.
वर्कआउट करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
जरूरत से ज्यादा वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज ना करें.
मध्यम से धीमी नियंत्रित गति से वेट्स उठाएं.
गति की पूरी रेंज के माध्यम से लिफ्ट करें.
अपनी सांस को ना रोकें. इसके बजाय, लिफ्ट के संकुचन (परिश्रम) चरण के दौरान श्वास छोड़ें और विश्राम चरण के दौरान श्वास लें.
बारी-बारी से अपर बॉडी और लोअर बॉडी से लिफ्ट करें
स्वस्थ लोगों अपनी वेट ट्रेनिंग की शुरुआत 8 से 12 रेपेटिशन से करें. वहीं, वृद्ध या कमजोर व्यक्तियों को अधिक हल्के वजन का उपयोग करना चाहिए और हर सेट में 10-15 रेपेटिशन करना चाहिए.
सप्ताह में दो दिन, एक सेट से शुरुआत करें.
वर्कआउट रूटीन में ये एक्सरसाइज शामिल कर सकते हैं- चेस्ट प्रेस, शोल्डर प्रेस, ट्राइसेप्स एक्सटेंशन, बाइसेप्स कर्ल, पुल-डाउन, लोअर-बैक एक्सटेंशन, एब्डॉमिनल क्रंच / कर्ल-अप, लेग प्रेस, लेग कर्ल और काफ रेज.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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