पीयूष शर्मा
मुरादाबाद. उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत तरह-तरह के समूह चलाए जा रहे हैं. इनकी मदद से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. साथ ही, वो अपना भरण-पोषण कर रही हैं. मुरादाबाद में जय श्रीराम स्वयं सहायता समूह में महिलाएं झूले और पालने बनाने का काम करती हैं. इसके साथ ही इस समूह से जो महिलाएं जुड़ी हैं. वह अन्य महिलाओं को जोड़कर ट्रेनिंग दे रही है और आत्मनिर्भर बना रही हैं.
मंगूपुरा में चल रहे जय श्रीराम स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रामा देवी ने बताया कि हमारे समूह के द्वारा झूले व पालने बनाने का कार्य किया जाता है. यह कार्य हमलोग लगभग दो-तीन साल से कर रहे हैं. एक झूले को बनाने में करीब आधे घंटे का समय लगता है. हमारा 200 महिलाओं का समूह है. हमारे द्वारा झूले बनाये जाते हैं और इनको सेल किया जाता है. तैयार झूलों को मुरादाबाद के अलवा दिल्ली सहित कई जगहों के लोग खरीदते हैं. सरकार की तरफ से समूह को पैसा मिलता है जिसके आधार पर हमलोग यह कार्य करते हैं. हमारे द्वारा 50 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग देकर यह कार्य सिखाया जा चुका है. इससे अब वो अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रही हैं.
ब्लॉक से संपर्क कर समूह से जुड़ी रामा देवी
रामा देवी ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में किसी स्थानीय ने उन्हें बताया कि सरकार के द्वारा तरह-तरह के समूह चलाए जा रहे हैं. इससे जुड़ कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और पैसे कमा रही हैं. यह पता चलने के बाद मैंने ब्लॉक में जाकर संपर्क किया और इस समूह से जुड़ी. आज मेरे समूह में 200 महिलाएं हैं. मैं इस समूह से अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही हूं.
एक झूले पर 100 से 200 रुपये तक होती है बचत
समूह में कार्य कर रही मंजू देवी ने बताया कि समूह से जुड़ी होने के साथ-साथ मैं अपनी दुकान भी चलाती हूं. हमलोग समूह से जुड़ कर झूले-पालने बनाने का काम करते हैं. झूला व पालने बनाने में हमें 100 रुपये से 200 रुपये तक बच जाते हैं जिससे हम अपने घर-परिवार का भरण-पोषण कर लेते हैं.
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