Use of E-Cigarettes is also very dangerous it increases the risk of cancer and stroke | E-Cigarettes का उपयोग है बेहद खतरनाक, बढ़ जाता है कैंसर और स्ट्रोक का खतरा

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Health Risk of E-Cigarettes: धूम्रपान करने वालों को अक्सर कैंसर होने के बारे में सचेत किया जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि धूम्रपान करने और ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने से सेल्स भी डैमेज होती हैं. इसके अलावा, व्यक्ति को कैंसर के अलावा दमा और स्ट्रोक जैसे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. यह शोध अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया, केके स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने तीन अलग ग्रुप पर किया. उन्होंने ई- सिगरेट पीने वाले, धूम्रपान करने वाले और कभी भी दोनों का प्रयोग नहीं करने वालों के मुंह से एपिथेलियल सेल्स का विश्लेषण किया.
शोध के मुताबिक, ई-सिगरेट और सिगरेट में पाए जाने वाले हानिकारक कण फेफड़ों को नुकसान तो पहुंचाते ही हैं, साथ ही इससे सेल और डीएनए में बदलाव का खतरा भी बढ़ जाता है. शोध के दौरान यह देखा गया कि जिन्होंने अलग-अलग फ्लेवर वाली ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया है उनके डीएनए में बदलाव की दर ज्यादा मात्रा में दर्ज की गई.
10% किशोर करते हैं ई-सिगरेट का इस्तेमालरिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 10 प्रतिशत से अधिक किशोर और तीन प्रतिशत से अधिक एडल्ट द्वारा नियमित रूप से ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जाता है. निकोटीन एंड टोबैको रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि ई-सिगरेट के इस्तेमाल से सांस संबंधी बीमारी, हाथ कांपना, आंत और फेफड़ों का कैंसर, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है. इस बारे में केके स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर अहमद बेसराटिनिया ने कहा कि किशोर जितना अधिक ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं, उनके मुंह के सेल्स में डीएनए डैमेज उतनी ही तेजी से होते हैं. यही पैटर्न धूम्रपान करने वालों में होता है. अध्ययन में यह भी नोट किया गया कि रिसर्च में शामिल हुए लोगों ने कितनी बार और कितनी देर तक धूम्रपान या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया. फिर उनके मुंह से डीएनए सेल्स के नमूने लेकर निष्कर्ष निकाला गया.
मीठे स्वाद वाली ई-सिगरेट अधिक खतरनाकशोध में पता चला कि जिन व्यक्तियों ने मीठे स्वाद वाली ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया, उनमें डीएनए के बदलाव का बहुत ज्यादा था. 
ढाई गुना ज्यादा बढ़ा जोखिमशोधकर्ताओं ने 72 स्वस्थ वयस्कों को उम्र, नस्ल और लिंग के आधार पर तीन समूहों में विभाजित किया. इसके बाद सभी प्रतिभागी से धूम्रपान और ई-सिगरेट से जुड़े प्रश्न पूछे गए. अध्ययन के अनुसार, ई-सिगरेट और सिगरेट पीने वालों में डीएनए का नुकसान एकसमान 2.6 गुना दर्ज किया गया.
क्या है डीएनए डैमेजवैज्ञानिकों के मुताबिक, मुंह से जुड़े सेल्स को डीएनए डैमेज के रूप में देखा जाता है. इसमें कैंसर और सूजन संबंधी बीमारियों के अलावा कई पुरानी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है.
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