रिपोर्ट : शाश्वत सिंह
झांसी. मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने 1954 में एक गीत लिखा था ‘बाबूजी धीरे चलना, प्यार में जरा संभलना, बड़े धोखे हैं इस राह में’. मौजूदा समय में झांसीवाले इस गीत को कुछ अलग अंदाज में गाते हैं. वे गुनगुनाते हैं ‘बाबूजी धीरे चलना, पशुओं से जरा संभलना, यहां खड़े यमराज इन राह में’. दरअसल, इस गुनगुनाने की वजह हैं आवारा पशु, जो दिन रात सड़कों पर टहलते रहते हैं. इन पशुओं की वजह से झांसी में लगातार हादसे हो रहे हैं. झांसी शहर और उसके आसपास के हाइवे पर इन पशुओं की वजह से कई एक्सीडेंट हो चुके हैं.
आंकड़ों में बात कही जाए तो अभी तक झांसी से जुड़े अलग-अलग हाइवे पर आवारा पशुओं के कारण 348 लोगों की जान जा चुकी है. बता दें कि झांसी-कानपुर हाइवे पर 82 एक्सीडेंट हुए हैं. इसी प्रकार झांसी-शिवपुरी हाइवे पर 51, झांसी-ललितपुर हाइवे पर 65, झांसी-ग्वालियर हाइवे पर 70 और झांसी-खजुराहो हाइवे पर 80 लोग अपनी जान गवा चुके हैं. इन सभी मामलों में आवारा पशुओं की वजह से ही एक्सीडेंट हुए हैं. सबसे ज्यादा एक्सीडेंट रात के समय होते हैं. हाइवे के आसपास रहने वाले लोग अपने पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं जिस वजह से ये हादसे होते हैं.
आवारा पशुओं पर लगाम जरूरी
लगातार हो रहे इन हादसों के बारे में जब हमने अपर नगर आयुक्त मोहम्मद कमर से बात की तो उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं की वजह से होने वाले हादसों को कम करने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं. झांसी नगर निगम ने 4 कैटल कैचर वैन चलाई है. रोजाना 20 से 25 आवारा पशु पकड़े जाते हैं. इनमें से जिन पशुओं के पशुपालक सामने आते हैं उनसे 500 रुपए से 2 हजार रुपए तक का अर्थदंड लेकर छोड़ दिया जाता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Jhansi news, Road Accidents, Stray animalsFIRST PUBLISHED : February 09, 2023, 14:24 IST
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