रिपोर्ट – धीरेन्द्र शुक्लाचित्रकूट : प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में त्रेतायुग का पत्थर आज भी मौजूद है त्रेता युग के इस पत्थर की कहानी अद्भुत और अलौकिक है. ये पत्थर आज भी पानी में तैरता है इस अद्भुत और अलौकिक पत्थर को देखने के लिए भक्तगण चित्रकूट पहुंचते हैं. इस पत्थर को पानी में तैरता देखकर भक्तगण श्रीराम सेतु के अद्भुत स्वरूप को दर्शन करने का अनुभव करते हैं.त्रेता युग के पत्थर की कहानी भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज जी बताते हैं कि नल और नील दो भाई थे और उनको ईश्वर की शक्ति प्राप्त थी. जिस पत्थर को वह छू लेते थे वह पत्थर पानी में तैरने लगता था. त्रेता युग में जब प्रभु श्री राम का अपनी वानर सेना को लेकर लंका जाना हुआ तो लंका पहुंचने का कोई मार्ग ना था. ऐसे समय में समुद्र में इसी पत्थर का इस्तेमाल करके पुल बनाकर वानर सेना के साथ प्रभु श्री राम लक्ष्मण लंका पहुंचे थे रावण से युद्ध करने के लिए . इस पत्थर को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु अन्य राज्यों से चित्रकूट पहुंचते हैं. श्रद्धालु भारत मंदिर में पहुंचने के बाद इस पत्थर को अपने हाथ से पानी में डुबोते है, लेकिन पानी में नहीं डूबता है.तभी भक्तों में श्रद्धा बढ़ जाती है और भक्तों का मानना है कि त्रेता युग यह पत्थर आज भी मौजूद है.त्रेता युग के पत्थर से रामसेतु पुल बना हुआ हैधार्मिक नगरी चित्रकूट में त्रेता युग का पत्थर आज भी मौजूद है और उसको एक स्थान में सुरक्षित रखा गया है. जिससे श्रद्धालु यहां आकर इस पत्थर के दर्शन करें और इसके बारे में जाने. यह पत्थर रामघाट के भरत मंदिर पर रखा हुआ है. इस पत्थर के दर्शन करने के लिए विशेष रुप से चित्रकूट के भरत मंदिर में भक्तगण आते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : February 04, 2023, 07:56 IST
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