हरिकांत शर्मा
आगरा. देश आज यानी सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है. जंग-ए-आज़ादी में लोगों को एकजुट करने के लिए नेताजी उत्तर प्रदेश के आगरा आये थे. उनका आगरा से गहरा रिश्ता रहा है. वो दो बार आगरा आये थे. स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के द्वारा दिया गया नारा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ आगरा के मोतीगंज के चुंगी मैदान में भी गूंजा था. मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान में हज़ारो लोगों के सामने नेताजी ने जब यह नारा दिया था तो वहां उपस्थित सभी क्रांतिकारियों ने उनके साथ एक स्वर में इस नारे का आह्वान किया था.
यह बात भले ही वर्ष 1940 की है, लेकिन आज भी लोगों के जेहन में यह ताजा है. इतना ही नहीं, यहां के क्रांतिकारियों ने सुभाष चंद्र बोस को अपने खून से ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लिख कर दिया था. कांग्रेस के पुराने नेता शशि शिरोमणि इस वाकये को भली-भांति याद कर सुनाते हैं.
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चुंगी मैदान की सीढ़ियों पर खड़े होकर दिया था भाषण
उन्होंने बताया कि वैसे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार आगरा आये थे. वर्ष 1938 में पहली बार यहां आए थे, लेकिन इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. नेताजी के नाम पर आगरा के सुभाष बाजार का नाम रखा गया था. यह जामा मस्जिद के बगल में है. इसके बाद, दोबारा नेताजी वर्ष 1940 में आगरा आए थे. तब उन्होंने मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान के श्री कन्हीराम बाबूराम हायर सेकेंडरी स्कूल की सीढ़ियों पर खड़े होकर हजारों लोगों की जनसभा को संबोधित किया था और जंग-ए-आजादी का बिगुल फूंका था.
जैसे ही सुभाष चंद्र बोस ने अपनी सभा को संबोधित करते हुए ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया वहां उपस्थित सभी क्रांतिकारियों की रगों में जोश भर गया था.
क्रांतिकारियों ने खून से लिख कर दिया था खत
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यात्रा का वर्णन आगरा के इतिहासकार राजकिशोर राजे की किताब तवारीख़ – ए-आगरा में मिलता है. वहीं, स्थानीय निवासी और कांग्रेस के नेता शशि शिरोमणि बताते हैं कि जब नेताजी आगरा आए थे, तब वो केवल आठ साल के थे. अपने पिता के साथ चुंगी मैदान में उनका भाषण सुनने गए थे. हजारों की संख्या में आसपास के गांव देहात से लोग नेता जी को सुनने के लिए आए थे. ब्रिटिश हुकूमत का कड़ा पहरा था.
ब्रिटिश हुकूमत के लोग चाहते थे कि सभा में कोई भगदड़ मचे और वो वहां इकट्ठा हुए लोगों पर लाठीचार्ज करें. लेकिन जैसे ही सुभाष चंद्र बोस ने ‘तुम मुझे खून दो…’ का नारा दिया, वहां उपस्थित जनसमूह जोश से लबरेज हो गया. उस दौरान, क्रांतिकारियों ने अपने खून से ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का किनारा लिखकर सुभाष चंद्र बोस को दिया. यही नहीं, उन्होंने शीशी में खून भी भेंट किया था.
कहा जा सकता है अंग्रेजो के खिलाफ जंग-ए-आजादी में सुभाष चंद्र बोस का आगरावासियों को एकजुट करने का प्रयास सफल रहा था.
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