रिपोर्ट- शाश्वत सिंह
झांसी. गत 4 जनवरी की शाम झांसी के एलाइट चौराहे पर ऐसा नजारा देखने को मिला जिसे शहरवासियों ने शायद ही पहले कभी देखा होगा. शाम 7 बजे महिला आईएएस अधिकारी चौराहे पर पहुंची. उन्होंने अचानक गाड़ियों की चेकिंग शुरू कर दी. हूटर और काले शीशे लगी गाड़ियों को रोकने लगीं. गाड़ी चाहे सत्ताधारी पक्ष के किसी व्यक्ति की हो या किसी रसूखदार व्यक्ति की, सभी को रोका गया. देखते ही देखते नवाबाद थाना ऐसी गाड़ियों से भर गया जिन पर हूटर और काले शीशे लगे हुए थे. इसके बाद से ही यह महिला आईएएस पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इनका नाम निधि बंसल है. वर्तमान में एसडीएम झांसी सदर के पद पर तैनात हैं. जितना शानदार निधि बंसल का काम है, उतनी ही दिलचस्प उनकी कहानी भी है. न्यूज- 18 लोकल से हुई खास बातचीत में उन्होंने अपने बारे में कई अहम बातें बताई.
प्रश्न. 4 जनवरी की शाम आपने अचानक चेकिंग शुरू कर दी. यह कदम क्यों उठाया?
उत्तर. दरअसल कुछ दिनों पहले मैं अपने आवास से तहसील आ रही थी. उसी दौरान मेरी गाड़ी जाम में फंस गई. उस जाम में एक एंबुलेंस भी काफी देर से फंसी हुई थी. लगातार सायरन बजाने के बाद भी कोई एंबुलेंस को जगह नहीं दे रहा था. तभी वहां एक ऐसी गाड़ी आई जिसके ऊपर हूटर लगा था. वह गाड़ी हूटर बजाते हुए निकल गई. यह मुझे काफी अजीब लगा. हूटर आपात स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है ना कि किसी के शौक के लिए. इसके बाद ही मैंने यह अभियान शुरू किया. अब यह अभियान निरंतर जारी रहेगा.
प्र. आप खुद भी काफी संघर्ष के बाद आईएएस बनी है, कैसा रहा आपका सफर?
उ. 12वीं पास करने के बाद मैंने एनआईटी, त्रिचि से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद 1 साल प्राइवेट नौकरी भी की. लेकिन, उस दौरान यह बात समझ में आई की मुझे लोगों के लिए कुछ करना है. इसके बाद मैंने यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी. दो बार आईपीएस के लिए चयन हुआ. ट्रेनिंग भी हुई. लेकिन मन में इरादा आईएएस बनने का ही था. तीसरी कोशिश में मेरा चयन आईएएस के लिए हुआ.प्र. बतौर आईपीएस भी तो आप बदलाव ला सकती थीं, लेकिन फिर आईएएस की ही जिद्द क्यों थी?उ. जी बिल्कुल, यह बात सही है कि आईपीएस के तौर पर भी बदलाव लाया जा सकता है. लेकिन अपनी ट्रेनिंग के दौरान मैंने यह पाया कि अपराध के अधिकतर मामले जमीन और पारिवारिक मामलों से जुड़े हुए होते हैं. तब मैंने यह सोचा की एक आईएएस के तौर पर मैं इन समस्याओं को बेहतर तरीके से शुरुआत में ही खत्म कर सकती हूं. इसलिए मैंने आईएएस बनने का निर्णय लिया.प्र. आपकी जिंदगी का “right turn” क्या था?उ. जिंदगी में कई ऐसे लम्हे आए जिन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया. लेकिन हैदराबाद में अपनी ट्रेनिंग के दौरान मैंने जब मजदूरी करने वाले बच्चों के ऊपर काम करना शुरू किया तो कई बातें पता चली. हम हमेशा उन बच्चों को रेस्क्यू करके उनके घर भेज देते थे. लेकिन कुछ समय बाद वह बच्चे हमें वापस काम करते हुए मिलते थे. उनके मां-बाप ही उन्हें वहां छोड़ जाते थे. इसके बाद हमें यह एहसास हुआ कि समस्या गरीबी और कम पढ़े लिखे होने की वजह से है. बतौर आईएएस मेरा यह उद्देश्य है कि हर बच्चे को शिक्षित करवा सकूं.प्र. आपने देश की सबसे कठिन परीक्षा दी है. जल्द ही बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं. बच्चों को क्या सुझाव देना चाहेंगी?उ. मेरा सभी विद्यार्थियों को यही सुझाव रहेगा की कठिन परिश्रम करें. परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है. सफलता जरूर हाथ लगेगी. लेकिन अगर असफल हो जाते हैं तो याद रखिए यह जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है. मैं खुद परीक्षाओं में फेल हुई हूं. आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान ही जब मैंने दोबारा आईएएस की परीक्षा दी थी तो कुछ अंकों से सलेक्शन नहीं हो पाया था. मैं 4 दिन रोई भी थी. लेकिन उसके बाद दुगनी मेहनत से तैयारी शुरू की और आज आईएएस बन चुकी हूं. तो, हर बच्चा सिर्फ मेहनत करें और फल की चिंता छोड़ दें.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Jhansi news, UP newsFIRST PUBLISHED : January 06, 2023, 14:20 IST
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