झांसी: खुद दिव्यांग होने के बावजूद, हजारों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर चुकी हैं सीमा तिवारी

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झांसी: खुद दिव्यांग होने के बावजूद, हजारों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर चुकी हैं सीमा तिवारी



शाश्वत सिंह

झांसी. कुछ लोग खुद अक्षम होने के बावजूद हजारों लोगों को सक्षम बनाने की कुव्वत रखते हैं. ऐसी ही एक व्यक्ति हैं झांसी की रहने वाली सीमा तिवारी. सीमा खुद दिव्यांग हैं लेकिन उन्होंने आज तक अनगिनत महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है. सीमा तिवारी बताती हैं बचपन में वह ग्वालियर में रहती थीं. स्कूल में वह एनसीसी कैडेट थी. इसके साथ ही खो-खो की खिलाड़ी भी थी. लेकिन, एक हादसे ने उनकी जिंदगी की दिशा और दशा बदल दी. 1996 में उनके घर पर डकैतों ने हमला कर दिया. खुद को बचाने के लिए और डकैतों की शिकायत करने के लिए उन्होंने छत से छलांग लगा दी. इस छलांग की वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई.

2002 में शुरु किया था कामचोट इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों ने साफ कह दिया की वह ज्यादा लंबा नहीं जी पाएंगी. लेकिन, सीमा ने हार नहीं मानी. इलाज के बाद भी वह खुद को मजबूत करती रहीं. साल 2002 में वह झांसी आईं और यहां उन्होंने सॉफ्ट टॉय पर काम करना शुरु किया. 2004 में उनकी पहली प्रदर्शनी लगी. इसके बाद उन्होंने शहर की लड़कियों और महिलाओं को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया. उनके द्वारा ट्रेंड की हुई लड़कियां आज पूरे देश में काम कर रही हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने एनजीओ के माध्यम से कई दिव्यांग लोगों की मदद भी की है.

राष्ट्रपति पुरस्कार से हैं सम्मानितसीमा तिवारी के काम को जिला प्रशासन से लेकर केंद्र सरकार तक ने सराहा है. दिसंबर 2019 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इससे पहले उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अहिल्या बाई होल्कर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही उन्हें जिला प्रशासन और कई अन्य संस्थानों द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Jhansi news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : December 28, 2022, 19:02 IST



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