Narak Chaturdashi 2021 Abhyanga Snan significance and process

admin

Narak Chaturdashi 2021 Abhyanga Snan significance and process



Narak Chaturdashi 2021: दिवाली (Diwali) के त्यौहार को लेकर सभी में जमकर उत्साह नजर आ रहा है. धनतेरस के दिन से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है जो कि पांचदिन तक चलती है. आखिरी दिन भैया दूज सेलिब्रेशन के साथ ही इसका समापन हो जाता है. दिवाली महापर्व के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) पर्व जिसे रुप चौदस भी कहा जाता है सेलिब्रेट कियाजाता है. इस दिन ‘अभ्यंग स्नान’ (Abhyanga Snan) करने की परंपरा है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में अभ्यंग स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिल जाती है.
यह भी मान्यता है कि अगर स्नान के बाद दक्षिण दिशा में हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना की जाए तो व्यक्ति द्वारा साल भर किए गए पापों का नाश हो जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यांग स्नान की परंपरा है लेकिन कई लोग इस बारे में नहीं जानते हैं. अगर आप भी अब तक धार्मिक तौर पर काफी महत्व रखने वाले अभ्यंग स्नान के बारे में अनजान हैं तो हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं. नियमपूर्वक इस स्नान को करने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है.
अभ्यंग स्नान का ये है महत्वनरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान करने को काफी फलदायी माना गया है. अभ्यंग स्नान में पूरे शरीर पर तेल की मालिश की जाती है. ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रभूषण व्यास के अनुसार अभ्यंग दो शब्दों का मेल है अभ्य का अर्थ संपूर्ण (चारों तरफ) और अंग का मतलब शरीर. अर्थात संपूर्ण शरीर के अंगों का स्नान. नरक चुतर्दशी पर तिल के तेल या फिर सरसों के तेल से अभ्यंग स्नान किया जा सकता है. सूर्योदय के पहले अभ्यंग स्नान करने का विशेष महत्व है. यह स्नान ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है. ब्रहम मुहूर्त का समय 03: 24 मिनट से 04.24 मिनट माना गया है.
इसे भी पढ़ें: दिवाली के 5 दिनों में ये पांच चीजें ज़रूर खाएं, मां लक्ष्मी की बनी रहेगी कृपा
कुछ जगहों पर अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन नहाते वक्त लोटे के पानी को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान किया जाता है. मान्यता है कि इससे नरक के भय से मुक्ति मिलती है.
इसे भी पढ़ें: धनतेरस से भाईदूज तक दिवाली के ये पांच दिन इस तरह होते हैं सेलिब्रेट
शरीर के लिए भी लाभकारी है अभ्यंग स्नान अभ्यंग स्नान का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही शारीरिक महत्व भी है. ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रभूषण व्यास बताते हैं कि अभ्यंग स्नान से शरीर के सारे रोम छिद्र खुल जाते हैं. इससे शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी हो जाती है. दरअसल, दिवाली का वक्त ठंड के आगमन का समय होता है. इस वक्त शरीर को मौसमी बीमारियों का खतरा रहता है. अभ्यंग स्नान करने से शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.



Source link