FIFA World Cup 2022 in qatar new restrictions on drinking beer at open stadium clothes and dress lgbtq workers | FIFA WC: कपड़ों तक पर नजर, बीयर पीने-मस्ती पर पाबंदी, LGBTQ समुदाय भी नाखुश… फीफा वर्ल्ड कप के ‘नियम’ जानकर हो जाएंगे परेशान

admin

Share



FIFA World Cup-2022 Qatar: मैदान सज चुके हैं. टीमें भी तैयार हैं, खिलाड़ी भी जुटे हैं. बस इंतजार है तो 20 नवंबर 2022 जब फीफा वर्ल्ड कप-2022 का आधिकारिक आगाज होगा. 32 देशों के बीच होने वाले इस वैश्विक टूर्नामेंट के लिए बड़ी संख्या में लोग कतर पहुंचेंगे लेकिन इस सबसे बड़े इवेंट के आयोजन को लेकर विवाद भी शुरू हो गए हैं.
पहली बार अरब देश में आयोजन
फुटबॉल वर्ल्ड कप के 92 सालों के इतिहास में ये पहली बार है, जब इसका आयोजन अरब देश में हो रहा है. फुटबॉल वर्ल्ड कप खेलने वाले 32 देशों में से 27 देश ऐसे हैं, जिनकी संस्कृति अरब देशों से बिल्कुल अलग है. इन देशों के खिलाड़ियों और यहां के फैंस को विश्व कप के लिए, कतर आना है, जहां इस्लामिक रुढ़िवादी नियम चलते हैं. यही इस बार के फीफा वर्ल्ड कप आयोजन की सबसे बड़ी बाधा बन सकती है.
नियमों का विरोध
इस बार फीफा वर्ल्ड कप-2022 का आयोजन कतर की राजधानी दोहा के 8 स्टेडियमों में होगा लेकिन इसे लेकर कई यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देश, कतर और उनसे नियम कायदों का विरोध कर रहे हैं. कतर को जब से वर्ल्ड कप आयोजन का टिकट मिला है, तभी से इस पर हर दिन कोई ना कोई विवाद हो रहा है. फुटबॉल वर्ल्ड कप आयोजन के लिए कतर का चुना जाना भी, विवाद का एक बड़ा कारण है. दरअसल कतर की खुद की फुटबॉल टीम ने आज तक एक भी वर्ल्ड कप नहीं खेला है.
आयोजक के नाते मिला मौका
कतर, मिडिल ईस्ट का एक छोटा सा देश है जहां आज भी राजशाही चलती है. कतर का क्षेत्रफल 11 हजार 610 वर्ग किलोमीटर का है. क्षेत्रफल के मामले में ये भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय से आधा है. कतर की आबादी मात्र 29 लाख 30 हजार है. मुंबई शहर की आबादी ही 2 करोड़ 20 लाख से ज्यादा है यानी अकेले मुंबई में कतर के मुकाबले 7 गुना ज्यादा लोग रहते हैं. इस देश में कभी फुटबॉल कल्चर मजबूत नहीं रहा है. इस बार कतर पहली बार वर्ल्ड कप इसलिए खेल पा रहा है, क्योंकि वह इसका आयोजक है. 
15 लाख से ज्यादा फैंस पहुंचेंगे कतर
फीफा वर्ल्ड कप के आयोजन को लेकर सवाल ये उठ रहे हैं कि जिस देश की आबादी ही मात्र 29 लाख 30 हजार है, उसे इतने बड़े आयोजन की अनुमति कैसे मिल गई. दरअसल फीफा विश्व कप के आयोजन को लेकर देखा गया है कि इसे देखने के लिए 15 लाख से ज्यादा फैंस, आयोजक उस देश में पहुंचते हैं. देखा जाए तो दर्शकों की ये संख्या, कतर की कुल आबादी का आधा है. इतने बड़े आयोजन और बड़ी संख्या में दर्शकों को संभालना कतर के लिए बहुत मुश्किल काम होगा.
मेजबानी के लिए दी रिश्वत! 
कतर दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार है. ऐसे आरोप हैं कि पैसे के दम पर उसने विश्व कप आयोजन का टिकट पाया है. आमतौर पर कतर का एक आम नागरिक अमेरिका के एक आम नागरिक से 2 गुना ज्यादा अमीर है. प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से कतर इस दुनिया का सबसे अमीर देश है. अमेरिका की प्रतिव्यक्ति आय करीब 50 लाख रुपये सालाना है. कतर में प्रति व्यक्ति आय करीब 1 करोड़ 5 लाख रुपये सालाना है- यानी अमेरिका की प्रतिव्यक्ति आय से दोगुनी. साल 2010 से ही आरोप लग रहे हैं कि कतर ने फीफा विश्व कप का आयोजन पाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया. ये भी दावे किए जा रहे हैं कि उसने विश्व कप आयोजन पाने के लिए लॉबिंग की, जरूरत पड़ने पर रिश्वत भी दी.
शेड्यूल बदलने की मौसम है वजह
हमेशा से फुटबॉल विश्व कप का आयोजन जून और जुलाई महीने में किया जाता रहा है. कतर में होने वाला विश्व कप भी पहले जून में ही होना था लेकिन जून के महीने में कतर में तापमान 40 डिग्री सेल्सियम से ज्यादा होता है.  ऐसे में कई खिलाड़ियों के डॉक्टर्स ने तापमान को लेकर चिंता जाहिर की थी. जून-जुलाई में विश्व कप का आयोजन होने की वजह से, दुनियाभर के फुटबॉल क्लब अपने आयोजन को भी जून -जुलाई में रोक देते थे. ये पहली बार है जब कतर में आयोजन सुनिश्चित करवाने के लिए, फीफा ने सभी फुटबॉल क्लब को नवंबर-दिसंबर में मैच ना कराने का आग्रह किया था. फीफा ने इन बातों पर पहले ध्यान नहीं दिया था, लेकिन जब खिलाड़ियों ने विरोध किया, तब उसने क्लब पर दबाव बनाकर, उनके आयोजन, अपने विश्व कप के लिए रुकवा दिए.
दूसरे देशों से बुलाए मजदूर 
फीफा के इतने बड़े आयोजन के लिए जिन मजदूरों को कतर बुलाया गया, उनसे एक खास कॉन्ट्रैक्ट करवाया गया, जिसके तहत उन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर काम करवाया गया. जल्दी से जल्दी विश्व कप आयोजन के निर्माण पूरा करवाने के लिए, दिन रात मजदूरी करवाई गई. विश्व कप के आयोजन को लेकर जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया, उसके लिए विदेशी मजदूरों को कफाला सिस्टम के तहत कतर बुलाया गया था. कतर में जितने भी मजदूर या कामगार आते हैं, उन्हें इसी सिस्टम के तहत ही कतर में एंट्री दी जाती हैं.
क्या है कफाला सिस्टम?
कफाला सिस्टम के तहत, वही विदेशी मजदूर कतर आ सकता है जिसका खर्चा कतर की कंपनी उठा रही हो. इसके अलावा कंपनी के खर्च पर आने वाले मजदूर को हर काम के लिए कंपनी की इजाजत लेनी होती है. इस सिस्टम के तहत आने वाले मजदूर, एक तरह कंपनी के गुलाम हो जाते हैं. इनको ना नौकरी बदलने की इजाजत होती है, ना ये काम छोड़ सकते हैं, ना देश छोड़ सकते हैं और ना ही उनका वीजा रिन्यू होता है.  कफाला सिस्टम के तहत, मजदूरों के पासपोर्ट और वीजा कतर की ये कंपनियां जबरन रख लेती हैं.
15 हजार से ज्यादा मजदूरों की मौत
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक फीफा विश्व कप आयोजन के लिए किए जा रहे निर्माण के दौरान वर्ष 2010 से 2020 के बीच 15 हजार 21 मजदूरों की मौत हो चुकी है. उनका आरोप है कि इस काम के आए मजदूरों को वेतन और हेल्थ इंश्योरेंस नहीं दिया गया है. एमनेस्टी के मुताबिक कफाला सिस्टम के तहत आए मजदूरों से रात दिन जबरदस्ती काम करवाया गया. ताकि आयोजन ठीक से पूरा हो सके. बायर्न म्यूनिख फुटबॉल क्लब के एक मैच में फैन्स ने कतर विरोधी बैनर लगाया था. इस बैनर के साथ एक ट्वीट भी किया गया था. इस ट्वीट में लिखा गया था कि – 5 हजार 700 मिनट के फुटबॉल के लिए 15,000 मजदूरों की मौत, शर्म आनी चाहिए.हालांकि फ्रांस,जर्मनी, इंग्लैंड जैसे देशों के विरोध के बाद, कतर ने इसी साल जनवरी में कफाला सिस्टम के कुछ नियमों को बदल दिया था. 
बीयर नहीं पी सकते, और भी कई नियम
कतर के नियमों को लेकर फुटबॉल फैंस काफी निराश है. कतर के कानून, इस्लामिक शरिया से प्रभावित हैं. कतर ने विश्व कप देखने आने वाले फुटबॉल फैन्स के लिए कुछ खास नियम बनाए हैं. जैसे- मैच के दौरान बीयर नहीं पी सकते. कतर में फुटबॉल फैंस स्लीवलेस या शॉर्ट कपड़े नहीं पहन सकते. फुटबॉल फैन्स, मैच के दौरान या सार्वजनिक जगहों ‘प्रेम का प्रदर्शन’ नहीं कर सकते.
क्रॉस-ड्रेसिंग पर पाबंदी
कतर में पारदर्शी कपड़े पहनने पर भी पाबंदी है. कतर में कंधे और घुटनों को ढंकने की सलाह दी गई है. फोटोग्राफी करने पर भी पाबंदी है. कतर में समलैंगिकता अपराध है इसलिए क्रॉस ड्रेसिंग पर पाबंदी है.क्रास ड्रेसिंग का मतलब लड़की के कपड़ों में लड़का या लड़के के कपड़ों में लड़की. इसके अलावा स्टेडियम के आसपास शराब की एक भी दुकान नहीं होगी. फैंस के लिए बीयर पीने की जगह पहले से तय की गई है, जिसे फैन जोन कहा जा रहा है. जो फैन जोन हैं, वहां भी मैच के पहले और मैच के 1 घंटे बाद तक ही बीयर मिलेगी, वो भी केवल 4. बीयर की कीमत भी 1200 रुपये रखी गई है. इस नियम की वजह से फुटबॉल के यूरोपीय और अमेरिकी, कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई फैंस निराश हैं.
LGBTQ समुदाय का भी विरोध
दुनिया का LGBTQ समुदाय भी, कतर का विरोध कर रहा है. दरअसल कतर में समलैंगिकता अपराध हैं. यहां पर समलैंगिक लोगों को 10 साल की सजा का प्रावधान हैं. ऐसे में दुनिया का LGBTQ समुदाय कतर में विश्व कप के आयोजन का विरोध कर रहा है. अभी हाल ही में कतर विश्व कप के आयोजन के एंबेसडर खालिद सलमान के एक बयान के बाद ये विरोध और बढ़ गया था. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि समलैंगिकता, मानसिक रोग है.
ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर



Source link