नोएडा ग्रेनो अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 90 बड़े बिल्डर्स से वसूले जाएंगे 55 हजार करोड़

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नोएडा ग्रेनो अथॉरिटी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 90 बड़े बिल्डर्स से वसूले जाएंगे 55 हजार करोड़



नोएडा. नोएडा-ग्रेनो प्राधिकरण को 55 हजार करोड़ का बकाया मिलने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों के उस फैसले को बदल दिया है, जिसमें Marginal Cost of Funds based Lending Rate (MCLR) के हिसाब से अब तक का बकाया चुकाने का आदेश दिया था. नोएडा प्राधिकरण की ओर से दायर याचिका के सभी प्वाइंट्स को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
ये फैसला एक साल से सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षित था. इसमें नोएडा प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग विभाग का 25 हजार करोड़ और कमर्शियल, इंस्टीट्यूशन और इंडस्ट्री का मिलाकर 15 हजार करोड़ रुपए की संपत्तियों का भुगतान नहीं किया गया. वहीं ग्रेटरनोएडा में ग्रुप हाउसिंग विभाग के 15 हजार करोड़ रुपए का भुगतान बिल्डरों ने नहीं किया.
दरअसल बिल्डरों की ओर से डाली गई याचिका पर 25 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा व ग्रेनो प्राधिकरण को आदेश दिया कि एमसीएलआर के तहत बिल्डरों से बकाया वसूल किया जाए. इस आदेश का यदि पालन कराया जाना तो नोएडा प्राधिकरण को करीब 11 हजार 500 करोड़ और ग्रेनो प्राधिकरण को करीब 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता. इसके लिए 26 अक्टूबर 2020 को नोएडा ग्रेनो प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश पर सुनवाई के लिए पुर्नविचार याचिका डाली.
याचिका में ये तथ्य किए गए शामिल
राष्ट्रीकृत बैंकों की ब्याज प्रणाली
प्राधिकरण की वित्तीय क्षति
प्राधिकरण के पास वित्त ना होने से विकास कार्य पैंडिंग
नोएडा प्राधिकरण की इस याचिका पर प्रभावी पैरवी की गई. सुप्रीम कोर्ट ने एक साल पहले 13 नवंबर 2021 फैसला सुरक्षित रख लिया. जिसे 7 नवंबर को सुनाया गया. इस फैसले के बाद से रियल स्टेट सेक्टर में हड़कंप मच गया.वैस तो इन बकायदारों में सबसे बड़े बकायदार आम्रपाली और यूनीटेक है. इनको हटा दिया जाए तो नोएडा प्राधिकरण को करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ही नुकसान उठाना पड़ सकता था.
प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि नोएडा में 116 बिल्डर प्रोजेक्ट हैं. जिनमें 90 पर बकाया है. वहीं ग्रेटर नोएडा में 200 से ज्यादा बिल्डर प्रोजेक्ट हैं, जिन पर भी बकाया है.
दरअसल 2006 में नोएडा भू- आवंटन नीति के तहत ग्रुप हाउसिंग में कुल लैंड की लागत का 10 प्रतिशत जमाकर आवंटन कर दिया जाता था. बाकी बकाया रकम किस्तों में जमा करनी होती थी. ये पैसा बिल्डर्स ने जमा नहीं किये और करीब 25 हजार करोड़ रुपए बकाया हो गया.
ये हैं टॉप बिल्डर जिन पर है बकायासुपरटेकलॉजिक्सथ्री सीओमेक्स
40 हजार बायर्स की नहीं हो सकी रजिस्ट्रीनोएडा व ग्रेटर नोएडा में करीब 40 हजार ऐसे बायर्स है, जिनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है. इसमें नोएडा के करीब 25 हजार और ग्रेटर नोएडा के 15 हजार बायर्स हैं, जिनको फ्लैट मिल चुके हैं. लेकिन उनको मालिकाना हक नहीं मिला. ये तभी संभव होगा जब बिल्डर बकाया रकम प्राधिकरण में जमा करेंगे. ऐसे में बायर्स की समस्या अब भी जस की तस है.
बकाया रकम लेने के लिए प्राधिकरण सक्रियसीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि बकाया रकम वसूलने के लिए तीन बिंदुओं पर काम किया जाएगा. आरसी जारी की जाएगी, लीज डीड कैंसल की जाएगी और प्रापर्टी जब्त की जाएगी.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Noida Authority, Noida news, Supreme Court, UP newsFIRST PUBLISHED : November 07, 2022, 18:51 IST



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