रिपोर्ट: कृष्ण गोपाल द्विवेदी
बस्ती. कहते हैं लोगों की किस्मत उनके हाथों की लकीरों में होती है, लेकिन बस्ती के भानपुर तहसील का एक ऐसा दिव्यांग छात्र जो अपनी किस्मत अपने पैरों की लकीरों से लिख रहा है. आइए हम आप को एक ऐसे बच्चे से मिलवाते हैं जो पैदाइशी दोनों हाथों से दिव्यांग है, लेकिन उसके हौसलों की उड़ान को देखकर आप खुद दांतो तले उंगली दबा लेंगे. यह बच्चा कक्षा 6 का छात्र है और महज 11 साल की उम्र में अपनी किस्मत अपने हाथों से नहीं बल्कि पैरों की उंगली से लिख रहा है. जबकि बच्चे का सपना पढ़ लिखकर डॉक्टर बनने का है.
दरअसल आलोक अपने जज्बे से हजारों लाखों दिव्यांगो को भी हौसला देना का काम कर रहा है. सभी को प्रेरणा भी दे रहा है कि अगर आपके पास दृढ़ इच्छा शक्ति, लगन और समर्पण है तो बड़ी से बड़ी बाधा भी आपके रास्ते की रूकावट नहीं बन सकती है.
दिव्यांग छात्र आलोक बचपन से होनहार है. चार बहनों में एकलौता भाई है, जो पैदाइशी दोनों हाथों से दिव्यांग है. वह जब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा, तो गांव के अन्य बच्चों को स्कूल जाते देख उस का भी मन स्कूल जाने को करने लगा. उसी के बाद आलोक ने स्कूल जाकर पढ़ने की जिद ठानी और अपने पैरों से लिखना सीखना शुरू किया. आलोक के पढ़ने के इस जज्बे को देख के घर वालों ने उसका का एडमिशन करा दिया और अपने हौसले की वजह से बच्चा आज सामन्य बच्चों की तरह स्कूल में पढ़ रहा रहा है.
आलोक ने पीछे मुड़कर नहीं देखाआलोक ने कभी अपने दिव्यांग होने का बहाना नहीं बनाया. साथ ही पीछे मुड़कर नहीं देखा. स्कूल जाने के लिए साइकिल चलाना सीखा और अब साइकिल से स्कूल पढ़ने जाता है. घर वालों ने भी आलोक का हौसला बढ़ाया है. वहीं, 11 साल के आलोक ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर इंसान के अंदर जज्बा है तो अपने लक्ष्य को किसी भी कीमत पर पा सकता है. कोई चीज उस में रूकावट नहीं खड़ी कर सकती है,
अच्छी राइटिंग में लिखता है आलोकआलोक कॉपी पर भी अपने पैरों की दोनों उंगलियों की सहायता से अच्छी राइटिंग में लिखता है. दिव्यांग छात्र की राइटिंग देखकर आप नहीं कह सकते की ये पैरों से लिखा गया है. उसकी लिखावट सामान्य बच्चों से अच्छी नजर आती है.
सपनों की उड़ाने में ये बात बन रही रूकावटआलोक बड़ा होकरडॉक्टर बनना चाहता है, लेकिन आर्थिक तंगी उसके रास्ते की रूकावट भी बन रही है. इस बच्चे के पिता की दोनों किडनी भी खराब हो गई हैं और उनका इलाज खेत बेचकर कराना पड़ रहा है.
सीएम योगी से लगाई मदद की गुहारआलोक ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपनी पढ़ाई में मदद के लिए गुहार लगाई है, ताकि वह पढ़ लिखकर अपने सपनों को साकार कर सके और डॉक्टर बनकर समाज की सेवा भी कर सके. आलोक की मां सितारा देवी ने बताया कि वह बचपन से ही काफी होशियार बच्चा है. वह बचपन से ही अपने पैरों की उंगलियों से लिखने की कोशिश करता था. पढ़ाई के प्रति उसका ये जज्बा देखकर हम लोगों ने उसका एडमिशन स्कूल में करवा दिया. वह अपनी क्लास का सबसे होशियार बच्चा है. अगर इसको अच्छा प्लेटफॉर्म मिला तो जिंदगी में बहुत आगे जाएगा. वहीं, आलोक कुमार ने बताया कि उसको पैरों से लिखने की प्रेरणा मां बाप से मिली है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Basti news, CM Yogi Adityanath, UP newsFIRST PUBLISHED : November 04, 2022, 15:37 IST
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