मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर को आखिरकार 690 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा तोहफा मिल गया, जिसका इंतज़ार एक अरसे से किया जा रहा था. यहां अब 690 करोड़ की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP Meerut) लगाया जाएगा, जो न सिर्फ कराह रही काली नदी नया जीवन देगा, बल्कि लोगों को नालों की दुर्गंध से भी मुक्ति मिलेगी. मेरठ को ये प्रोजेक्ट नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत मिला है. इससे पहले मेरठ को दिल्ली एक्सप्रेस-वे मिल चुका है और मेरठ से दिल्ली के लिए रैपिड़ रेल का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. साथ ही शहर को IT हब बनाने की तैयारी अंतिम चरण में है.
अब मेरठ को 690 नब्बे रुपए करोड़ की बड़ी सौगात मिल गई है. मेरठ के नगर आयुक्त मनीष बंसल ने बताया कि अब यहां 690 करोड़ की लागत वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मंज़ूरी मिल गई है. सरकार की इस मंज़ूरी के बाद न सिर्फ प्रदूषण से कराह रही काली नदी को नवजीवन मिलेगा बल्कि लाखों की जनसंख्या को नालों की दुर्गंध से भी मुक्ति मलेगी. उन्होंने बताया कि अभी आबू नाला वन टू और ओडियन नाला का पानी बिना शोधन के काली नदी में जा रहा था. लेकिन 220 एमएलडी का एसटीपी प्लांट लग जाने के बाद नालों के पानी को शोधित करके ही उसे काली नदी में डाला जाएगा.
काली नदी को मिलेगा नया जीवन, दुर्गंध से मिलेगी मुक्ति
नगर आयुक्त मनीष बंसल का कहना है कि इससे जहां काली नदी को नवजीवन मिलेगा तो लोगों को नालों की दुर्गंध से भी मुक्ति मिलेगी. नगर आयुक्त मनीष बंसल का कहन है कि आने वाले 24 महीनों के भीतर STP प्लांट ऑपरेट हो जाएगा. इससे एनजीटी के आदेशों के अऩुपालन में भी सुविधा होगी. वहीं इस कार्य के लिए जल निगम जुट गया है. यूपी जल निगम के अधीक्षण अभियंता इंजीनियर आरके अग्रवाल ने बताया कि STP को लेकर टेंडर नोटिस दो या तीन दिन के अंदर जारी हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट को नमामि गंगे ने पास किया था. लेकिन फंडिंग को दिक्कतें आ रही थीं. अब सारी दिक्कतें समाप्त हो गई हैं, क्योंकि वर्ल्ड बैंक फंडिंग करने के लिए तैयार हो गया है. आरके अग्रवाल का कहना है कि 18 अक्टूबर को टेंडर खोलना प्रस्तावित है. दिसम्बर से पहले प्रोजेक्ट पर कार्य शुरु हो जाएगा.
STP के पानी का भी हो सकेगा उपयोग
जल निगम के अधिकारियों के अनुसार 220 एमएलडी एसटीपी का निर्माण एमएलई तकनीक पर किया जाएगा. यह तकनीक पूर्व में बनाए गए एसटीपी से बेहतर और अधिक गुणवत्तापरक है. इस तकनीक से शोधित जल का उपयोग पेड़-पौधों की सिंचाई के काम में किया जा सकेगा. अर्थात शोधित जल काम में लाया जा सकेगा. 220 एमएलडी एसटीपी से दो बड़े नालों ओडियन और आबूनाला-दो बेगमपुल वाला नाला को जोड़ा जाएगा. इन नालों को टेप कर पानी एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा. यहां से शोधित जल ही काली नदी में बहाया जाएगा. इससे काली नदी की कालिमा दूर होगी. साथ ही सीवेज शोधन क्षमता बढ़ने के साथ शहर में सीवर लाइन डालने का मार्ग भी प्रशस्त होगा.
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा में मिली प्रोजेक्ट को मंजूरी
बहुप्रतीक्षित 220 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए टेंडर जारी करने की स्वीकृति नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा से मिल गई है. इस STP के बनने से शहर की सबसे बड़ी सीवेज निस्तारण की समस्या का हल हो जाएगा और काली नदी में नालों का शोधित पानी ही बहेगा. यह एसटीपी कमालपुर स्थित 72 एमएलडी एसटीपी के समीप छह हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा. जल निगम ने जमीन पहले ही फाइनल कर ली है. विश्व बैंक की मदद से यह एसटीपी बनाया जाएगा. इसकी कुल लागत लगभग 690 करोड़ आएगा. इसमें सिविल कंस्ट्रक्शन पर लगभग 363 करोड़ खर्च होंगे. शेष धनराशि मेंटीनेंस आदि में खर्च होगी.
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत प्रस्तावित 220 एमएलडी एसटीपी का जल्द निर्माण शुरू कराने की मांग केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने रखी थी. उन्होंने काली नदी का दर्द बयां किया था. नालों का सीवेज नदी में बहने से भूमिगत जल दूषित होने और टीबी, कैंसर, पीलिया, हेपेटाइटिस बी जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में लोगों के आने का हवाला दिया था.
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