चंद मैचों में ही खत्म हो गया भारत के इस खिलाड़ी का करियर, बन सकता था महान बल्लेबाज| Hindi News

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Team India: भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज क्रिकेटर रहे विजय मांजरेकर ने अपने समय में शानदार प्रदर्शन के दम पर खूब नाम कमाया और लग रहा था कि उनका बेटा भी अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए खूब सफलता हासिल करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विजय मांजरेकर के बेटे पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा क्रिकेट कमेंटेटर संजय मांजरेकर को अगला सुनील गावस्कर कहा जाता था, लेकिन उनका करियर ज्यादा लंबा नहीं चल पाया.  
चंद मैचों में ही खत्म हो गया भारत के इस खिलाड़ी का करियर
संजय मांजरेकर के पिता विजय मांजरेकर ने अपने करियर में 55 टेस्ट मुकाबलों में 7 शतकों और 15 अर्धशतकों की मदद से 3208 रन बनाए थे. वहीं, संजय मांजरेकर ने भारत के लिए 37 टेस्ट और 74 वनडे मुकाबले खेले, जिसमें उन्होंने क्रमश: 2043 और 1994 रन बनाए थे. संजय मांजरेकर अपने पिता विजय मांजरेकर की तरह लंबी रेस का घोड़ा साबित नहीं हुए.
बन सकता था महान बल्लेबाज
भारत में सुनील गावस्कर को सबसे महान बल्लेबाजों के एलीट ग्रुप में रखा गया है. सुनील गावस्कर के संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट में संजय मांजरेकर आए, जिन्हें अगला गावस्कर माना गया. हालांकि चंद मैचों के अंदर ही इस स्टार खिलाड़ी का करियर खत्म हो गया. 
इस खिलाड़ी को कहा जाता था भारत का अगला गावस्कर
दरअसल, भारत के पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा क्रिकेट कमेंटेटर संजय मांजरेकर को अगला सुनील गावस्कर कहा जाता था. 12 जुलाई 1965 को बेंगलुरु के मैसूर में जन्में संजय मांजरेकर को क्रिकेट विरासत में मिली. संजय के पिता विजय मांजरेकर भी अपने दौर के बेहतरीन बल्लेबाज माने जाते थे. संजय मांजरेकर ने बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज भारतीय क्रिकेट टीम में एंट्री की थी. हालांकि उन्हें विकेटकीपिंग का ज्यादा मौका नहीं मिला मगर बल्लेबाजी में उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं.
बेहद घातक था ये बल्लेबाज
मुंबई की ओर से क्रिकेट खेलने वाले संजय मांजरेकर ने टेस्ट करियर की शुरुआत नवंबर 1987 में की और अप्रैल 1989 में अपने तीसरे टेस्ट में ही वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक जड़ दिया. तब कैरेबियाई टीम का बॉलिंग अटैक इतना खतरनाक था कि कोई भी आसानी से रन नहीं बना सकता था. इसके बावजूद संजय मांजरेकर ने 108 रन की पारी खेलकर अपनी प्रतिभा का सबूत दे दिया. संजय मांजरेकर के वनडे करियर का आगाज भी वेस्टइंडीज के ही साथ 1988 के दौर में हुआ. 1992 में जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट भारत के खिलाफ खेला था. उस वक्त जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों को ज्यादा अनुभव नहीं था. इसके बावजूद जिम्बाब्वे ने भारत को हार के करीब धकेल दिया था, तब संजय मांजरेकर ने अंगद की तरह पैर जमाकर अपना विकेट बचाए रखा और मैच ड्रॉ कराया. 
बेहद शानदार था पाकिस्तान के खिलाफ रिकॉर्ड 
इस मैच में जिम्बाब्वे ने पहली पारी में 456 रन बना दिए. बैटिंग करने उतरी भरतीय टीम के सात बल्लेबाज दहाई का अंक तक छू नहीं सके मगर कपिल देव (60) और मांजरेकर (104) रन की बदौलत भारत ने यह मैच ड्रॉ करा लिया. मांजरेकर ने अपनी इस पारी में 9 घंटे तक 422 गेंदे खेलकर यह शतक लगाया था. 37 टेस्ट खेलने वाले संजय मांजरेकर का टेस्ट औसत सिर्फ 37.14 का था मगर पाकिस्तान के खिलाफ यही आंकड़े तीन गुना ज्यादा पहुंच जाते हैं. मांजरेकर ने चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के विरुद्ध 94.83 की औसत से रन बनाए. किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा पाक के खिलाफ यह सर्वोच्च टेस्ट औसत है. 
चंद मैचों में ही करियर खत्म हो गया 
संजय को बेहद कम समय में क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा. उनका अचानक क्रिकेट छोड़कर चले जाना कई सवाल भी खड़े कर गया. मांजरेकर ने क्रिकेट छोड़ते समय एक प्रेस कांफ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने टीम में सेलेक्शन न होने से दुखी होकर क्रिकेट छोड़ने की बात कही थी. साल 2019 में संजय मांजरेकर ने आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 में रवींद्र जडेजा पर टिप्पणी की थी कि वह टुकड़ों में प्रदर्शन करने वाले क्रिकेटर हैं, जिसके बाद जडेजा ने उन्हें अपने प्रदर्शन से मुहतोड़ जवाब दिया था. 
सचिन पर ताना कसने में संकोच नहीं किया
एक समय संजय मांजरेकर सचिन तेंदुलकर पर ताना कसने में भी जरा संकोच नहीं किया था. एक समय ऐसा भी था जब संजय मांजरेकर ने सचिन के राज्यसभा मेंबर बनने और करियर के आखिरी दौर में उनके रवैये को लेकर तीखी टिप्पणी की थी. अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘इम्परफैक्ट’ में संजय मांजरेकर ने सचिन के साथ उनके रिश्ते का भी जिक्र किया था. मगर यहां उनके विचार बेहद अलग थे. मांजरेकर ने कहा था कि, ‘सचिन और मैं ग्राउंड पर बेशक एक-दूसरे से टकराते रहे हों, लेकिन ऑफ द फील्ड वह एक बेहतर इंसान हैं और हम दोनों हमेशा से अच्छे दोस्त रहे हैं.’



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