रिपोर्ट: अभिषेक जायसवालवाराणसी: भोले की नगरी में काशी (Kashi) में दुर्गा पूजा के उत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. शहर में जगह-जगह दुर्गापूजा (Durga Puja) के उत्सव के लिए पंडाल बनाए जा रहे हैं और काशी इन दिनों मिनी बंगाल (Mini Bangal) में बदलता नजर आ रहा है. दुर्गापूजा के उत्सव की तैयारियों को लेकर ऐसी रौनक कोरोना (Corona) के कारण पूरे दो साल बाद नजर आ रही है. जिसको लेकर बनारस (Banaras) के मूर्तिकारों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. मूर्तिकारों के चेहरे खुशी से खिल गए हैं, क्योंकि इस बार मूर्तियों की डिमांड पिछले दो सालों की अपेक्षा बेहद ज्यादा है.
बता दें कि वाराणसी (Varanasi) जिले में शहर से लेकर गांव तक 500 से अधिक जगहों पर सार्वजनिक पूजा पंडाल बनाए जाते हैं. जिसमें पूरे विधि विधान से तीन दिनों तक देवी की पूजा होती है फिर दशमी के दिन मां का विसर्जन किया जाता है. दुर्गापूजा के उत्सव को लेकर अब मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं.
चल पड़ा व्यवसायमूर्तिकार समीर ने बताया कि पिछले साल कोरोना की बंदिशों के कारण दुर्गापूजा तो मनायी गयी. लेकिन ज्यादातर जगहों पर सिर्फ सांकेतिक पूजा ही हुई, ऐसे में छोटी प्रतिमाओं से आयोजकों ने काम चलाया. लेकिन इस बार सारी बंदिशें खत्म हो गई हैं. जिसके कारण मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है, साथ ही साथ बड़ी मूर्तियां ज्यादा आयोजकों को पसंद आ रही हैं. जिसके कारण इस बार मूर्तिकारों का व्यवसाय चल पड़ा है.
अलग-अलग थीम पर बन रही प्रतिमाबताते चलें कि वाराणसी के अलग-अलग पंडालों में अलग-अलग थीम पर प्रतिमा स्थापित होती है. जिसको लेकर मूर्तिकार विभिन्न थीम पर प्रतिमा तैयार कर रहे हैं.
इनमें सबसे ज्यादा डिमांड बंगाल थीम पर आधारित प्रतिमाओं की है.
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