रिपोर्ट – चंदन सैनी
मथुरा. उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं को हाईटेक करने की कवायद और दावा कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि ये दावे धरातल पर खोखले ही हैं. सरकार की ओर से लाखों रुपये उप स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण पर खर्च कर दिए गए, लेकिन इनके रखरखाव और बिजली, पानी के लिए ये उप स्वास्थ्य केंद्र ज़िम्मेदारों की बाट निहारते नज़र आ रहे हैं. दरअसल उप स्वास्थ्य केंद्र की हालत ऐसी है कि यहां न पीने के लिए पानी है, न हवा खाने के लिए बिजली. छतों पर लटके पंखे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बिजली आएगी तो चलेंगे.
बदहाल उप स्वास्थ्य केंद्रों के हालात के बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार वर्मा को बताए गए तो उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मेंटेनेंस का पैसा नहीं आया है इसलिए यह बदहाली है. पुराने केंद्र भी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. तो ज़िम्मेदार सरकार को दोषी बता रहे हैं. इन सब के बावजूद ज़िले में 200 से अधिक नये उप स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए जा रहे हैं, लेकिन जो पहले से बदहाली के शिकार हैं, उनके साथ विभाग अनदेखी वाला रवैया ही अपना रहा है.
प्राथमिक इलाज के लिए भटक रहे लोग
स्थानीय लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां अगर डॉक्टर आकर बैठेंगे, तो लोग आएंगे. व्यवस्थाएं भी बहाल होंगी अगर देखभाल भी होगी. यहां डॉक्टर एक दिन आते हैं चार दिन नहीं आते. गांव की आबादी काफी चूंकि काफी ज़्यादा है और इस केंद्र के सिवा आसपास इलाज की कोई सुविधा नहीं है. प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराना सबके बस की बात भी नहीं है इसलिए स्वास्थ्य विभाग के ये छोटे केंद्र बनाए गए हैं ताकि लोगों को प्राथमिक इलाज तो मिल सके, लेकिन इन केंद्रों की हालात ऐसी है कि प्राथमिक उपचार के लिए भी लोग भटकने पर मजबूर हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |FIRST PUBLISHED : September 10, 2022, 15:51 IST
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