कान हमारी पांच ज्ञानेंद्रियों में से एक है. जिसके बिना सुनना असंभव है. कान के पर्दे में छेद (Ruptured Eardrum) हो जाना काफी गंभीर समस्या है. जो कि आपके सुनने की क्षमता खत्म कर सकती है. इसके अलावा, कान के पर्दे में छेद होने से कान में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. कान के पर्दे में छेद होने की दिक्कत बच्चों में काफी देखने को मिलती है, क्योंकि उनका कान का पर्दा अधिक कमजोर व संवेदनशील होता है. आइए कान के पर्दे में छेद के कारण, लक्षण और इलाज से जुड़ी सभी जानकारी जानते हैं.
कान के पर्दे में छेद होना क्या है? (What is Ruptured Eardrum)कान मुख्यतः तीन भागों में बंटा होता है. एक्सटर्नल ईयर (बाहरी कान), मिडिल ईयर (मध्य कान) और इनर ईयर (अंदरुनी कान) और कान के बाहरी व मध्य भाग के बीच टिश्यू की एक पतली परत होती है, जिसे कान का पर्दा कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे टिश्यू की परत को टिम्पेनिक मेम्ब्रेन या ईयरड्रम (Tympanic Membrane or Eardrum) भी कहा जाता है. जब कोई आवाज कान में प्रवेश करती है, तो इसी कान के पर्दे से टकराकर कंपन व संकेत पैदा होते हैं, जो मध्य भाग से होते हुए कान के भीतर जाते हैं. इस तरह हमें सुनाई देता है.
लेकिन जब कान के इस पर्दे में किसी कारण छेद (Hole in Eardrum) हो जाता है यानी वह डैमेज हो जाता है, तो कंपन या संकेत पैदा नहीं हो पाते हैं और हमें सुनाई देना कम या बंद हो सकता है. इस समस्या को कान के पर्दे में छेद होना (Ruptured Eardrum) कहते हैं. जिसे अंग्रेजी में perforated eardrum भी कहा जाता है. गंभीर मामलों में पीड़ित की सुनने की क्षमता हमेशा के लिए जा सकती है.
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कान के पर्दे में छेद होने के कारण (Ruptured Eardrum Causes)हेल्थलाइन के मुताबिक, कान के पर्दे में छेद होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं. जैसे-
कान में संक्रमण – कान के पर्दे में छेद होने का सबसे आम कारण इंफेक्शन है, जो कि खासतौर से बच्चों के अंदर देखा जाता है. संक्रमण के दौरान ईयरड्रम के पास फ्लूइड इकट्ठा होने लगता है और इस फ्लूइड के भार या प्रेशर के कारण कान का पर्दा गल व फट सकता है.प्रेशर में बदलाव – कान के बाहरी भाग और मध्य भाग के प्रेशर के बीच अंतर होने के कारण भी कान का पर्दा फट सकता है. इसे barotrauma कहा जाता है, जो कि हवाई जहाज में सफर करने, ऊंचे पहाड़ पर जाने, शॉक वेव्स, किसी चीज के कान पर सीधा असर आदि के कारण हो सकता है.कान में चोट – कान में चोट लगने या किसी चीज को कान के पर्दे पर मार लेने के कारण भी कान का पर्दा फट सकता है. कान पर मारना, कान के बल गिरने, दुर्घटना, कान में कोई चीज डालना आदि कान में चोट का कारण बन सकते हैं. इसके अलावा, बहुत तेज आवाज सुनने के कारण भी ईयरड्रम फट सकता है. जिसे Acoustic Trauma भी कहा जाता है.
कान के पर्दे में छेद के लक्षण (Ruptured Eardrum Symptoms)
कान में अचानक तेज दर्द
कान से पस निकलना
सुनने की क्षमता खो जाना
कान बजना
कान घूमने जैसा एहसास होना
जी मिचलाना या उल्टी आना, आदि
हर पीड़ित के अंदर कान के पर्दे में छेद के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और लक्षणों की गंभीरता भी अलग हो सकती है.
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Eardrum Ruptures: कान के पर्दे में छेद की जांचकान के पर्दे में छेद की जांच करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकता है. जैसे-
fluid sample: कान से निकलने वाले द्रव्य (फ्लूइड) की जांचatoscope exam: कान के अंदर डिवाइस की मदद से देखनाaudiology exam: सुनने की क्षमता व ईयरड्रम की क्षमता की जांचtympanometry: ईयरड्रम टेस्ट करने के लिए कान के अंदर tympanometer डालकर देखना
कान का पर्दे फटने का इलाज (Ruptured Eardrum Treatment)मायोक्लिनिक के मुताबिक, कान के पर्दे में छेद के अधिकतर मामलों में पर्दा खुद ही कुछ हफ्तों के भीतर ठीक हो जाता है. इन मामलों में दर्द और संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक दवाएं चलती हैं. लेकिन अगर कान के पर्दे में छेद गंभीर है, तो फिर निम्नलिखित उपचार इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
पैचिंग (Patching)- कान के पर्दे के छेद के ऊपर एक मेडिकेटेड पेपर पैच लगाना, जिससे टिश्यू जल्दी विकसित होने लगते हैं.सर्जरी (Surgery)- गंभीर मामलों में ईयरड्रम के छेद (hole in eardrum) को सर्जरी से रिपेयर किया जाता है. इसमें सर्जन शरीर के दूसरे अंग से टिश्यू लेकर पर्दे पर लगाता है. इस सर्जरी को टिम्पेनोप्लास्टी (tympanoplasty) कहा जाता है.
कान के पर्दे का घरेलू इलाज व बचावजैसा कि ऊपर बताया गया है कि कान के पर्दे में छेद के अधिकतर मामले खुद ठीक हो जाते हैं. इस दौरान दर्द व संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए निम्न घरेलू उपचार की मदद ली जा सकती है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं कि कान के पर्दे में छेद के दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा लिखी पेनकिलर का सेवन करें और कान पर गर्म पानी में भीगी हुए कपड़े से सिकाई करें.
वहीं, डॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है कि कान के पर्दे में छेद होने से बचाव के लिए कान को हमेशा साफ और सूखा रखें.
कान ठीक होने तक कान में पानी ना जाने दें.
कान में किसी भी संक्रमण को तुरंत ठीक करें.
जुकाम या साइनस के दौरान हवाई जहाज में यात्रा ना करें.
कान में कोई भी चीज ना डालें.
कान का मैल (ईयर वैक्स) निकालने के लिए डॉक्टर की मदद लें.
तेज आवाज में म्यूजिक ना सुनें व किसी बड़े स्पीकर से उचित दूरी बनाए रखें.
हेडफोन का प्रयोग ना करें.
कान बहने पर तेल या कोई अन्य चीज ना डालें.
गर्म पानी के गरारे करते रहें.
ठंडे पानी व ड्रिंक्स का सेवन करने से बचें.
नहाने के बाद भीगे बालों से पंखे, कूलर या एसी के सामने ना जाएं.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.