हाल के कई दशकों में हाई कोलेस्ट्रॉल को दिल की बीमारी के सामान्य कारणों में से एक के रूप में देखा गया है. लेकिन क्या वाकई ये हमारे जीवन का खलनायक है? बता दें कि सभी प्रकार के कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होते हैं. कोलेस्ट्रॉल एलडीएल और एचडीएल लिपोप्रोटीन के माध्यम से ट्रांसपोर्ट होता है. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को लीवर से सेल्स, टिशू और आर्टरी तक लेकर जाता है वहीं, एचडीएल शरीर से अतिरिक्त एलडीएल को निकालने में मदद करता है.
फेमस न्यूट्रिशनिस्ट भक्ति कपूर ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि कोलेस्ट्रॉल पूरे सेल्स मेम्ब्रेन का महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट है. पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है, जो कोलेस्ट्रॉल के बिना रह सकता है. कोलेस्ट्रॉल को बहुत कम करने से जल्दी मरने का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि कोलेस्ट्रॉल एक समस्या बन जाता है, जब कुछ प्रकार के कोलेस्ट्रॉल (छोटे, घने, एलडीएल कण) शरीर में मुक्त कणों के ऑक्सीकरण में योगदान करते हैं. इससे आर्टरी में सूजन और प्लेग का निर्माण, ब्लड फ्लो में रुकावट और दिल की बीमारियां हो सकती हैं. शरीर में फ्री रेडिकल्स अतिरिक्त पीयूएफए (वनस्पति तेल), सिगरेट पीने, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, प्रतिरक्षा सेल सक्रियण, मानसिक तनाव, कैंसर, उम्र बढ़ने के इस्किमिया से उत्पन्न हो सकते हैं.
न्यूट्रिशनिस्ट भक्ति कपूर ने अपने पोस्ट में पॉपुलर कोलेस्ट्रॉल मिथकों का भंडाफोड़ किया है.
1. कोलेस्ट्रॉल खराब है?उन्होंने बताया कि शरीर में हर सेल्स के लिए कोलेस्ट्रॉल एक आवश्यक कॉम्पोनेंट है. यह सेल्स की संरचना का समर्थन करता है, विटामिन डी और अन्य हार्मोन का आधार बनाता है. इसके साथ ही फैट और फैट में घुलनशील विटामिन के अवशोषण में सहायता करता है.
2. ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल का स्तर आहार में कोलेस्ट्रॉल के कारण होता है?उन्होंने बताया कि हमारे ब्लड में 25% कोलेस्ट्रॉल हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आता है, जबकि 75-80% लीवर द्वारा बनाया जाता है. इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप II मधुमेह, चयापचय सिंड्रोम, अधिवृक्क रोग, तनाव, आनुवंशिकी जैसे अधिक कोलेस्ट्रॉल पैदा करने वाले लीवर पर कुछ स्थितियों का प्रभाव पड़ सकता है.
3: हाई कोलेस्ट्रॉल = दिल की बीमारीउन्होंने बताया कि मानक लिपिड लेवल पर बस अपने एलडीएल-सी (एकाग्रता) की जांच करना दिल की बीमारी के जोखिम का एक गलत मार्कर है. अच्छे एलडीएल स्तर वाले लोगों को भी दिल का दौरा पड़ता है. बासी या ऑक्सीकृत कोलेस्ट्रॉल जिसके परिणाम स्वरूप दिल का दौरा या स्ट्रोक होता है जिससे आर्टरी की दीवारों के नीचे सूजन और प्लेग के जमाव का एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है. असली खतरा तब होता है जब एलडीएल कण ऑक्सीकृत हो जाते हैं और आपकी आर्टरी में प्लेग या कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगते हैं.
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