आज के समय में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करता हो. लेकिन अगर किसी को स्मार्टफोन के बिना कुछ देर रहने में ही हालत खराब होने लगे या फिर फोन से दूर रहने के ख्याल से ही पसीना आने लगे, तो ये एक गंभीर दिमागी बीमारी का संकेत हो सकता है. इस बीमारी के बारे में कुछ समय से एक्सपर्ट चेतावनी देते आ रहे हैं.
गौरतलब है कि, आज के समय में हमारी जिंदगी स्मार्टफोन पर टिकी हुई है. हम बात करने से लेकर कुछ खाने या जानकारी लेने तक मोबाइल पर निर्भर हो चुके हैं. ऐसे में मोबाइल फोन पास ना होने से चिंता होना स्वाभाविक है. लेकिन नोमोफोबिया (Nomophobia) नाम की इस दिमागी बीमारी में मोबाइल फोन पास ना होने से आपको इतनी दिक्कतें होती हैं कि आपकी जिंदगी प्रभावित होने लगती है. आइए जानते हैं कि नोमोफोबिया आखिर क्या है?
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Nomophobia: नोमोफोबिया क्या है?हेल्थलाइन के मुताबिक, मेडिकल साइंस में किसी चीज से संबंधित ऐसे डर या एंग्जायटी को फोबिया कहा गया है, जिसके कारण आपके दैनिक जीवन में बाधा आने लगती हो. Pubmed.gov पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक नोमोफोबिया ‘नो मोबाइल फोन फोबिया’ के लिए एक संक्षिप्त शब्द है. जो कि मोबाइल फोन से दूर जाने की चिंता से जुड़ी मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में बताता है. नोमोफोबिया में किसी व्यक्ति को मोबाइल फोन पास ना होने या मोबाइल नेटवर्क खोने या मोबाइल से दूर रहने के कारण चिंता, डर आदि का गंभीर एहसास हो सकता है. इसके कारण उसका दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है और वह खाना खाने, खुश रहने या पर्याप्त नींद लेने जैसे दैनिक कार्य करने में परेशानी महसूस कर सकता है. आसान भाषा में इस मनोवैज्ञानिक समस्या को ‘मोबाइल की लत’ का गंभीर रूप भी कहा जा सकता है.
भारतीय विद्यार्थियों पर हुई स्टडी में इतने लोग निकले नोमोफोबिया के मरीजPubmed पर प्रकाशित दूसरे अध्ययन में भारत के मेडिकल स्टूडेंट्स पर नोमोफोबिया के बारे में शोध किया गया. जिसमें 145 स्टूडेंट्स ने भाग लिया. दिसंबर 2015 से फरवरी 2016 तक हुई इस स्टडी में 17.9 प्रतिशत स्टूडेंट्स में नोमोफोबिया के हल्के लक्षण, 60 प्रतिशत स्टूडेंट्स में मध्यम लक्षण और 22.1 प्रतिशत मेडिकल स्टूडेंट्स में नोमोफोबिया के गंभीर लक्षण देखे गए थे. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह दिमागी बीमारी किस हद तक युवाओं को अपनी चपेट में ले सकती है.
नोमोफोबिया के लक्षण – Symptoms of Nomophobiaहेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) के नये संस्करण में नोमोफोबिया को सूचीबद्ध नहीं किया गया है. क्योंकि, मेंटल एक्सपर्ट्स को अभी इस समस्या के बारे में विस्तार से अध्ययन करना बाकी है. लेकिन Pubmed पर प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, फोन से दूर जाने के डर से इस मनोवैज्ञानिक समस्या के कारण निम्नलिखित संभावित लक्षण हो सकते हैं. जैसे-
एंग्जायटी होना
सांस लेने में समस्या
कांपना
पसीना आना
ध्यान ना लगा पाना
घबराहट
अत्यधिक तेज धड़कन, आदि
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नोमोफोबिया का जोखिम – Risk factors of Nomophobiaऊपर बताए गए नोमोफोबिया के लक्षण मोबाइल फोन से दूर जाने के डर से दिख सकते हैं. लेकिन आप दैनिक जीवन में भी यह पहचान सकते हैं कि आपको नोमोफोबिया का जोखिम है या नहीं. क्योंकि हेल्थलाइन के अनुसार, निम्नलिखित आदते रखने वाले लोगों में नोमोफोबिया विकसित होने का जोखिम हो सकता है. जैसे-
हर समय अपने पास मोबाइल फोन रखना, जैसे टॉयलेट या नहाने के दौरान भी
हर दो मिनट में मोबाइल फोन चेक करना कि कोई नोटिफिकेशन तो नहीं आया
दिन में बहुत ज्यादा देर स्मार्टफोन इस्तेमाल करना
मोबाइल फोन के बिना खुद को बेसहारा महसूस करना
परिवारवालों या पार्टनर के साथ रहते हुए भी हमेशा फोन इस्तेमाल करना
चार्जिंग के समय भी मोबाइल फोन इस्तेमाल करना, आदि
नोमोफोबिया के कारण होने वाली अन्य बीमारियां
रीढ़ की हड्डी झुक जाना
कंप्यूटर विजन सिंड्रोम
टेक्स्ट नेक
फेफड़ों की क्षमता कम हो जाना
नींद आने में समस्या
डिप्रेशन, आदि
नोमोफोबिया या मोबाइल की लत से कैसे करें बचावहेल्थलाइन के मुताबिक, नोमोफोबिया या मोबाइल की लत को दूर करने के लिए निम्नलिखित टिप्स अपना सकते हैं. जैसे-
रात को सोने से कम से कम 1 घंटा पहले मोबाइल, लैपटॉप को छोड़ देना.
सोते समय मोबाइल दूर रखना.
2-3 महीने बाद सोशल मीडिया से 7 दिन के लिए दूरी बना लेना.
घरवालों या पार्टनर के साथ मोबाइल फोन इस्तेमाल ना करना.
मोबाइल को दिन में सिर्फ एक बार चार्ज करने का लक्ष्य बनाएं.
जिन एप्स पर ज्यादा समय बिताते हों, उन्हें डिलीट कर दें.
अन्य चीजों में मन लगाएं.
कुछ देर के लिए मोबाइल फोन घर पर छोड़कर बाहर मार्केट वगैराह जाएं.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.