Largest Homeopathic Institute: आयुष मंत्रालय की ओर से राजधानी दिल्ली को होम्योपैथी चिकित्सा का सबसे बड़ा अस्पताल मिलने जा रहा है. इस अस्पताल को दिल्ली के नरेला इलाके में चौधरी रामदेव चौक पर बनाया जा रहा है. यह अस्पताल शुरुआत में मरीजों को 100 बेडों तक की सुविधा देगा. इसके साथ ही कई इलाज के लिए यहां ओपीडी की सुविधा भी मिलेगी. यह संस्थान केवल मरीजों के इलाज में ही नहीं बल्कि ये होम्योपैथी में नए शोध पर काम करके इस चिकित्सा प्रणाली को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.
10 हेक्टेयर में बनेगा अस्पताल
आयुष मंत्रालय ने जानकारी दी कि दिल्ली के नरेला में 10 हेक्टेयर जमीन पर राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान बनाया जा रहा है. इस अस्पताल की खास बात यह है कि यह पूरे उत्तर भारत में स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगा. यह संस्थान 287.40 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हो रहा है. लोगों को इस अस्पताल से आयुष सेवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
ये होंगी सुविधाएं
इस अस्पताल में ऑप्थल्मोलॉजी, ओबीएस एंड गायनेकोलॉजी, पीडियाट्रिक, डेंटल, ईएनटी, लेबर वार्ड, आईसीयू, प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन, सीएसएसडी, ओपीडी रजिस्ट्रेशन, डायग्नोसिस, साइकियाट्री, रिपर्टरी, ऑर्गन ऑफ मेडिसिन, मटेरिया मेडिका और ओपीडी की सुविधा सहित कई अन्य विभागों की सुविधा भी मिलेगी. बता दें इस संस्थान में स्पेशलाइज्ड होमियोपैथी डॉक्टर तैयार किए जाएंगे.
अस्पताल की तीन चीजें होंगी सबसे महत्वपूर्ण
आयुष मंत्रालय ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी के नाम से बन रहे इस संस्थान में तीन मुख्य लक्ष्य रखें गए हैं. जिसमें होम्योपैथी का अध्ययन, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध, होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति पर शोध और तीसरा सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल. इस संस्थान में युवाओं को होम्योपैथी प्रणाली की कई शाखाओं में पीजी और डॉक्टरेट पाठ्यक्रम लेने में सहायता. इसमें 7 स्नातकोत्तर विभाग होंगे. प्रति विभाग में सात छात्र रह सकते हैं. इसके अलावा यह संस्थान मौलिक कारणों जैसे सुरक्षा मानकों, दवा विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, होम्योपैथिक दवाओं की वैज्ञानिक वैधता आदि के लिए काम करेगा.
अस्पताल में सर्जरी विभाग व मोर्चरी भी होगा
होम्योपैथी के इस संस्थान में दो चीजें बनाई गई हैं. यहां एक अलग संचालन विभाग बनाया गया है. होम्योपैथी की पढ़ाई और प्रशिक्षण के लिए आने वाले छात्र ऑपरेटिंग रूम में माइनर सर्जरी सीख सकेंगे. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर मरीजों को भी इसका फायदा मिलेगा. इस संबंध में आयुष मंत्रालय ने जानकारी में बताया कि आपात स्थिति में शव को रखने के लिए मोर्चरी बनाया गया है. ताकि शव को उसके परिजनों के कागजी कार्रवाई करके ले जाने तक रखा जा सके.