उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को आखिरकार अपना नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया. गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय की ओर से चौधरी भूपेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया. बीजेपी का ये फैसला एक तीर से दो निशाने नहीं बल्कि एक तीर से कई निशाने लगाने जैसा है.
मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले चौधरी भूपेंद्र सिंह जाट बिरादरी से आते हैं, इलाके में बड़े किसान नेता के तौर पर पहचान है और 31 साल का लंबा राजनीतिक अनुभव है. भूपेंद्र को यूपी में पार्टी का नया चौधरी बनाकर बीजेपी आलाकमान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल के वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में 8 सीटें जीती थीं, जबकि यही आकंड़ा 2017 में सिर्फ एक सीट तक सीमित था.
दरअसल, बीजेपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल की चुनौती को पूरी तरह खत्म करना चाहती है. ये भी तय माना जा रहा है कि 18-20 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में SP-RLD-BSP फिर एक बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं, ऐसे में पार्टी इस जाट चेहरे के जरिए इस प्रभाव को बेअसर कर सकती है.
चौधरी भूपेंद्र सिंह पश्चिम के बड़े किसान परिवार से आते हैं, किसानों के बीच भी उनका अच्छा प्रभाव है. लंबे चले किसान आंदोलन के दौरान पार्टी ने किसानों खासकर जाट समुदाय को मनाने की जिम्मेदारी चौधरी भूपेंद्र को ही सौंपी थी. ऐसे में जब एक बार फिर किसान आंदोलन को हवा देने की कोशिश की जा रही है, राकेश टिकैत जैसे नेता धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, बीजेपी बिल्कुल भी नहीं चाहती है कि आंदोलन फिर शुरू हो और लोकसभा चुनावों से ठीक पहले किसानों में नाराजगी का भाव तक पैदा हो. लिहाजा, भूपेंद्र चौधरी इसके लिए पार्टी का सबसे सटीक दांव साबित हो सकते हैं.
दूसरी तरफ, बीजेपी ने पश्चिमी यूपी के चर्चित चेहरे और राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रभाव को भी बेअसर करना चाहती है. जो कृषि कानूनों के खिलाफ खुलकर किसानों का समर्थन करते रहे हैं.
56 साल के चौधरी भूपेंद्र सिंह 31 साल से बीजेपी से जुड़े हैं, इसका ज्यादातर हिस्सा उन्होंने संगठन और जमीनी स्तर पर बिताया है. कई मौकों पर अपनी रणनीति और परिश्रम की बदौलत पार्टी को आश्चर्यजनक नतीजे भी दिए हैं, इसका सबसे ताजा उदाहरण रामपुर लोकसभा उपचुनाव के नतीजों में दिखा, जब उन्होंने बतौर प्रभारी पार्टी को उम्मीदों के विपरीत धमाकेदार जीत दिलाई. ऐसे में इनको प्रदेश इकाई की कमान मिलने से कार्यकर्ताओं में सीधा-सीधा संदेश ये भी गया है कि पार्टी में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और परिश्रम का सम्मान होता है. जो कार्यकर्ताओं के मनोबल और ऊर्जा को सातवें आसमान पर पहुंचाने में कारगर साबित होगा.
एक तरफ चौधरी भूपेंद्र सिंह को पार्टी की कमान और दूसरी तरफ कुछ दिन पहले ही जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना, ये दोनों फैसले जाट बिरादरी में बीजेपी के बूस्टर डोज़ के तौर पर देखे जा रहे हैं. जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद करीब-करीब ये माना जा रहा था कि बीजेपी किसी जाट या किसान बिरादरी के नेता को पार्टी के प्रदेश इकाई की कमान नहीं सौंपेगी. लेकिन, हमेशा की तरह चौंकाने वाले फैसले लेने वाली बीजेपी ने जाट नेता को ही कमान भी सौंपी.
दरअसल, बीजेपी 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 16 सीटों पर हार का सामना करना था, जिनमें से 7 सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं, जहां जाट और किसान बिरादरी का प्रभाव है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और मध्य प्रदेश की करीब 50 लोकसभा सीटों पर जाट बिरादरी के वोटरों का अच्छा-खासा प्रभाव है. ऐसे में बीजेपी चौधरी भूपेंद्र सिंह और जगदीप धनखड़ के ‘जाट कॉम्बो’ कार्ड से बीजेपी ने मिशन 2024 का शंखनाद कर दिया है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: BJP, CM Yogi Adityanath, UP BJPFIRST PUBLISHED : August 26, 2022, 19:05 IST
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