रिपोर्ट: शाश्वत सिंह
झांसी: भगवान कृष्ण की उपासना के दुनिया भर में कई केंद्र हैं. ढेरों मंदिर हैं, अनेकों संस्थाएं हैं, जो कृष्ण की भक्ति और भगवद गीता के संदेश को दुनिया भर में पहुंचाने का काम करती हैं. इन्हीं में से एक संस्था है इस्कॉन. इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉनशियस्नेस है. इस्कॉन के दुनिया भर में 1 हजार से अधिक केंद्र हैं. अकेले भारत में इसके 400 केंद्र हैं और यहां तक कि पाकिस्तान में भी इस्कॉन के 12 मंदिर बने हुए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस्कॉन संस्था की स्थापना का विचार वीर भूमि झांसी में ही आया था. जी हां, इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी महाराज इसकी शुरुआत झांसी से ही करना चाहते थे.
दरअसल, धर्म गुरु बनने से पहले भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद आयुर्वेदिक दवाएं बनाने का काम करते थे. इस्कॉन समिति के वरिष्ठ सदस्य अन्योर प्रभु ने बताया कि आयुर्वेदिक दवाओं के सिलसिले में स्वामी प्रभुपाद अक्सर झांसी के आयुर्वेदिक कॉलेज में आया करते थे. 1952 से उन्होंने नियमित रूप से यहां आना शुरू किया. झांसी के दो व्यक्ति उनके अनुयायी हो गए. इन्हीं यात्राओं के दौरान स्वामी प्रभुपाद की नजर आंतियां तालाब के सामने बने राधा बाई स्मारक पर पड़ी. स्मारक पर कृष्ण मंत्र लिखा हुआ था. स्वामी प्रभुपाद ने अपने उन दोनों अनुयायियों से कहा कि हम यहां कृष्ण भक्ति की एक संस्था की स्थापना करेंगे.
1957 में शुरू किया भक्तों का संघअन्योर प्रभु बताते हैं कि स्वामी प्रभुपाद ने शुरुआत में इस संस्था का नाम भक्तों का संघ रखा. इसके लिए उन्होंने उस समय के दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिया. विज्ञापन में कहा गया कि ऐसे शिक्षित युवाओं की जरुरत है जो दुनिया भर में भगवद गीता के संदेश को फैला सकें. उनकी यात्रा, भोजन और वस्त्र का खर्च संस्था द्वारा उठाया जाएगा. स्वामी प्रभुपाद ने 1957 में इस संस्था की स्थापना करनी चाही, लेकिन उनके ही अनुयायियों तथा कुछ राजनीतिक लोगों द्वारा प्रपंच रच कर उस जमीन को अपने नाम करवा लिया गया. इस वजह से यहां इस्कॉन की विधिवत स्थापना नहीं हुई.
1966 में हुई इस्कॉन की स्थापनाइसके बाद स्वामी प्रभुपाद वृंदावन चले गए, जहां वह 16 साल रहे. इसके बाद वह अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने 1966 में विधिवत तौर पर इस्कॉन की स्थापना की. उन्होंने 13 जुलाई 1966 को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में इसकी स्थापना की. शुरुआत में उन्होंने उन अमेरिकी लोगों को इससे जुड़ा जिन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. ऐसे लोगों को हिप्पी कहा जाता था. इस्कॉन के माध्यम से इन लोगों को भगवत गीता का अर्थ समझाया और आज देश-विदेश में लाखों लोग इस्कॉन संस्था के अनुयायी हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: ISKCON, Jhansi news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 19, 2022, 14:54 IST
Source link