रिपोर्ट – सृजित अवस्थी
पीलीभीत. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा करने के साथ व्रत करते हैं. वहीं, जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्त अपने लड्डू गोपाल के नन्हें स्वरूप के दर्शन करने के लिए मथुरा पहुंच रहे हैं.
दरअसल उत्तर प्रदेश के यमुना नदी के तट पर स्थित मथुरा भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान है. जबकि यहां कृष्ण जन्माष्टमी के दिन काफी धूमधाम से पूजा-पाठ होती है. जन्माष्टमी पर्व पर के दिन प्रमुख मंदिर समेत पूरे वृंदावन के मंदिरों को एकदम दुल्हन की तरह सजाया जाता है. इस दिन मथुरा वृंदावन समेत समूचे ब्रज में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है. ऐसे में अगर आप भीड़ भाड़ से बचना चाहते हैं और साथ ही राधारमण के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप पीलीभीत में दर्शन कर सकते हैं.
प्राचीन राधारमण मन्दिरपीलीभीत के चौक बाजार में स्थित राधारमण मन्दिर काफी प्राचीन है. इस मंदिर का निर्माण पीलीभीत के तत्कालीन राजा लालता प्रसाद और हरि प्रसाद ने बनाया था. ऐसा माना जाता है कि राजाओं ने कुछ मनोकामना मांगी थी और राजाओं की आस्था राधारमण में बहुत अधिक थी. मनोकामना के पूर्ण होने के बाद उन्होंने इस मन्दिर की स्थापना की थी. मन्दिर में लगे शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण सम्वत 1853 ( सन 1796 ) में हुआ था.
पीलीभीत में होती है वृंदावन पद्धति से पूजापीलीभीत में स्थित राधारमण मंदिर में ठीक वृंदावन पद्धति से ही पूजन कराया जाता है. मन्दिर के महंत सुधीर चंद्र गोस्वामी बताते हैं कि उनका वृहद परिवार ही वृन्दावन के राधारमण मंदिर में पूजन करता है.
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