रिपोर्ट: अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन देश के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में शामिल है. ऊपर से देखने पर शतरंज की बिसात जैसा लगने वाला यह रेलवे स्टेशन पहले फारसी भाषा में चहार बाग कहलाता था. नवाब आसफुद्दौला के पसंदीदा ऐशबाग की तरह चारबाग भी उन्हें बेहद पसंद था, लेकिन जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब को यहां से भगा दिया था, तब अंग्रेजों ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी थी. चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव 1914 में रखी गई थी. करीब 60 से 70 लाख की लागत से इसे बनाया गया था.
कहते हैं चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की मुलाकात हुई थी. यह दिन भारतीय राजनीति में बेहद ऐतिहासिक दिन था. चारबाग रेलवे स्टेशन राजपूत और अवधी शैली में बनाया गया है. इसके गुंबद छतरीनुमा हैं. इस रेलवे स्टेशन को बनाने की जिम्मेदारी उस समय के आर्किटेक्ट जैकब और हॉर्नीमैन को दी गई थी.
पहली बार मिले नेहरू और गांधीइतिहासकार रवि भट्ट ने बताया कि चारबाग रेलवे स्टेशन पर पहली बार 26 दिसंबर 1916 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की मुलाकात हुई थी. दोनों ही महान नेता लखनऊ में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए लखनऊ शहर आए थे. करीब 20 मिनट तक पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने यहीं पर रुककर बात की थी. जिस जगह पर पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी की मुलाकात हुई थी आज उस जगह पर चारबाग रेलवे स्टेशन की पार्किंग है.
स्टेशन के बाहर नहीं जाती है ट्रेन की आवाजचारबाग रेलवे स्टेशन की खासियत यह भी है कि जब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर ट्रेन आती है तब चाहे उसका इंजन या हॉर्न कितना ही तेज क्यों न हो, लेकिन कभी भी उसकी आवाज रेलवे स्टेशन के बाहर तक नहीं जाती है. जबकि चारबाग के बाहर का परिसर और प्लेटफार्म के बीच में बहुत ज्यादा दूरी नहीं है. देश के किसी दूसरे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आने और जाने की आवाज बाहर साफ सुनाई देती है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Jawaharlal Nehru, Lucknow city facts, Mahatma gandhiFIRST PUBLISHED : August 09, 2022, 13:20 IST
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