हाइलाइट्सकलकत्ता से लेह लद्दाख के सफर पर निकले हैं उज्ज्वलपर्यावरण संरक्षण का सन्देश देने के लिए कर रहे यात्राएक हाथ से विकलांग उज्ज्वल दूसरों को कर रहे प्रेरितबाराबंकी: मेहनत, हिम्मत, जज्बा, अगर इनका कोई दूसरा पर्यायवाची प्रयोग करना हो तो इन तीनों शब्दों के लिए अकेला एक नाम होगा और वो नाम है उज्ज्वल घोष. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये उज्ज्वल घोष हैं कौन? तो आपको बता दूं कि साइकिल पर सवार होकर 6000 किलोमीटर की यात्रा का बीड़ा उठाने वाला यह युवक सबसे अलग है, सबसे जुदा है. मूल रूप से कलकत्ता के रहने वाले इस शख्स की कहानी इसे विशेष और अलग बनाती है. उज्ज्वल का संघर्ष ऐसा जिसे पार करना हर किसी के बस की बात नही लेकिन हिम्मत इतनी कि आसमान में सुराख कर दे.
कलकत्ता से लेह लद्दाख के सफर पर निकलेउज्ज्वल घोष एक हाथ से दिव्यांग है, लेकिन उन्होंने कभी भी इस बात को खुद पर हावी नहीं होने दिया. एक हाथ से दिव्यांग होने के बावजूद प्रकृति के बहुत बड़े प्रेमी हैं. उज्ज्वल ने एक ऐसा संकल्प उठाया है जो शायद हर किसी के लिए संभव नहीं है. उज्ज्वल साईकिल से करीब 5600 किलोमीटर का सफर तय करने निकले हैं, वो कलकत्ता से लेह लद्दाख के सफर पर साईकल से निकले हैं. इस दौरान उनका पड़ाव बाराबंकी में भी रहा. जहां वो एक ऐसा अनूठा कार्य करते दिखे कि जिसने भी देखा वो उनकी तारीफ करने लगा. दरअसल उज्ज्वल खाली जगहों पर बीज फेंक कर भविष्य के लिए वृक्ष को तैयार कर रहे हैं, यही काम वो बाराबंकी में भी कर रहे थे.
दूसरों को कर रहे प्रेरितउज्जवल ने कहा कि वह हाथ से दिव्यांग जरूर हैं लेकिन मन से नहीं, उज्ज्वल का मानना है कि जो कार्य अन्य व्यक्ति कर सकता है वही काम दिव्यांग व्यक्ति भी कर सकता है, भले ही इसमें वक्त थोड़ा ज्यादा लग जाए. अपनी यात्रा को लेकर उज्ज्वल ने बताया कि वो इतनी बड़ी यात्रा सिर्फ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के संदेश को प्रसारित करने के लिए कर रहे हैं और इस उद्देश्य को सार्थक करने के प्रयास में वह अपने साथ लाए हुए खजूर एवं कटहल के बीजों को उचित स्थान पर रोपकर पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. पर्यावरण के प्रति उज्ज्वल का यह समर्पण दूसरों को भी प्रेरित कर रहा है.
राष्ट्र के प्रति अनूठा समर्पणउज्ज्वल राष्ट्र के प्रति बहुत समर्पित हैं, वो देशभक्ति का भी अनूठा सन्देश दे रहे हैं. उज्ज्वल साईकल पर तिरंगा लगाकर और भारत के झंडे की जर्सी पहन कर लोगों के मध्य पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. उज्ज्वल ने बताया कि वह बंगाल में दृष्टिबाधित लोगों को फुटबॉल की ट्रेनिग भी देते हैं और साथ ही वह पर्यावरण के संरक्षण का संदेश अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी देते हैं.
ऐसे कट रहा है सफरउज्ज्वल को इस सफर को पूरा करने में 3 माह से अधिक का समय भी लग सकता है, लगभग 6 हजार किमी की यात्रा करने के दौरान उनके सामने आर्थिक समस्या भी पैदा हो रही है, लेकिन उनका कहना है कि उनके इस कार्य से प्रेरित होकर कई लोग उनको ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की मदद से रुपए भी भेजते हैं. रात्रि के सफर में वो किसी गुरुद्वारे, ढाबे या होटल में रुकते हैं और सुबह होते ही फिर अपनी यात्रा प्रारंभ कर देते हैं. उज्ज्वल जैसे युवा की कहानी काफी प्रेरणादायक है, दिव्यांग होने के बावजूद राष्ट्र और पर्यावरण के प्रति उज्ज्वल का ऐसा समर्पण देख बड़ी बड़ी बाधाएं उसके सामने बौनी साबित हो रही हैं.
उज्जवल अब फिर से बाराबंकी से अपने सफर पर निकल चुके हैं, उसे नही मालूम मंजिल मिलने में कितना समय लगेगा लेकिन उज्ज्वल का यह हौंसला लोगों को प्रेरित जरूर कर रहा है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Barabanki News, Positive News, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : July 28, 2022, 00:28 IST
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