Match fixing scandals Incidents in Cricket history Pakistans No Ball and IPL Spot Fixing | Match fixing: वो मौके जब क्रिकेटरों ने ही खेल को बेच दिया, एक कप्तान ने भी की थी मैच फिक्सिंग

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Match fixing Incidents in Cricket: क्रिकेट भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला खेल है. लोकप्रियता के मामले में क्रिकेट के आसपास कोई भी दूसरा खेल नजर नहीं आता है. इस जेंटलमैन गेम पर कई बार फिक्सिंग का काला धब्बा लग चुका है. क्रिकेट इतिहास में भी कई ऐसे पल आए है जब पूरे क्रिकेट जगत को शर्मसार होना पड़ा है. आईसीसी ने मैच फिक्सिंग को रोकने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं, फिर भी बुकीज मैच फिक्सिंग की स्थिति पैदा करते रहते है. आज हम आपको क्रिकेट इतिहास की तीन बड़ी मैच फिक्सिंग के बारे में बताएंगे. 
क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा मैच फिक्सिंग स्कैंडल 
क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा फिक्सिंग स्कैंडल भारत और साउथ अफ्रीका के बीच 2000 में हुई सीरीज के दौरान सामने आया था. इस दौरे के दौरान दोनों टीमों के पांच खिलाड़ी मैच फिक्स करने के लिए बुकियों के संपर्क में थे. इसमें टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोनिए शामिल थे. इस फिक्सिंग के लपेट में हर्शल गिब्स, निकी बोए समेत कई खिलाड़ी आए थे. इस विवाद के बाद मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था. अजहरुद्दीन ने खुद को इन आरोपों से मुक्त कराने के लिए 11 साल तक लड़ाई लड़ी और सुप्रीम कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट भी मिली.
2010 में पाकिस्तान का इंग्लैंड दौरा
साल 2010 में पाकिस्तान की टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी. इस दौरे पर एक बड़ा मैच फिक्सिंग कांड सामने आया था. पाकिस्तान के मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ और उस समय टीम के कप्तान सलमान बट्ट स्पॉट फिक्सिंग में शामिल पाए गए थे. एक स्टिंग ऑपरेशन में यह सामने आया कि बुकी मजहर मजीन ने आमिर और आसिफ को तय ओवरों में नो बॉल फेंकने के लिए कहा था. सलमान बट्ट भी इस वीडियो में थे. आईसीसी ने इस मामले के बाद साल 2011 में तीनों खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया था. 
आईपीएल में भी हुआ फिक्सिंग का कांड
2013 में आईपीएल पर भी फिक्सिंग का काला धब्बा लगा चुका है. आईपीएल के इस सीजन के दौरान श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदौलिया को आईपीएल मैचों में स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. ये तीनों खिलाड़ी राजस्थान रॉयल्स टीम का हिस्सा थे. इस मामले के बाद बीसीसीआई ने श्रीसंत और अंकित चव्हाण पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि बाद में कोर्ट ने श्रीसंत के आजीवन प्रतिबंध को हटाकर सिर्फ 7 साल का कर दिया था. श्रीसंत और चव्हाण ने स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने की बात खूद स्वीकार किया था. 
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