रामपुर लोकसभा सीट पर जीत के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म का बोलबाला रहता है. सभी सियासी दल जातियों के हिसाब से ही टिकटों का बंटवारा करते हैं. इस बार उपचुनाव के दौरान भाजपा ने अपने 16 मंत्रियों को चुनावी प्रचार के लिए मैदान में उतारा है. खास बात ये है कि ये सारे मंत्री जाति के हिसाब से वोटरों को टारगेट करके चुनाव प्रचार कर रहे हैं ताकि वे उन खास जाति के वोटों को भाजपा के खाते में डलवा सकें. रामपुर में आसिम राजा सपा के उम्मीदवार रामपुर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का गढ़ है, इसलिए चुनाव की पूरी कमान सपा ने उनको ही दे रखी है. आजम खान अपने खास अंदाज के भाषणों के लिए भी खासे मशहूर हैं, जिनके जरिए वो वोटों को अपनी तरफ खींच लेते हैं. अखिलेश का आजम खान पर विश्वास ही है कि उन्होंने रामपुर चुनाव में एक भी दिन कोई जनसभा नहीं की. यहीं नहीं अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भी चुनाव प्रचार नहीं किया. हालांकि वो सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कहते रहे मगर चुनावी प्रचार में हिस्सा नहीं लिया. रामपुर में आसिम राजा सपा के उम्मीदवार हैं. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना संभाल रहे हैं भाजपा की कमानजबकि भाजपा ने पूरे योगी मंत्रिमंडल को प्रचार के लिए जमीन पर उतार दिया है. भाजपा ने आजम खान के पुराने साथी और सपा से विधान परिषद सदस्य रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया है. भाजपा ने वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को रामपुर चुनाव की कमान सौंपी है. खन्ना स्थानीय व्यापारियों के संघ, चार्टड एकांउटेंट और टैक्स बार एसोसिएशन के वकीलों से मिल रहे हैं. समाज कल्याण मंत्री मंत्री असीम अरुण ने अलग-अलग जगहों पर जाटव और दलितों मोहल्लों में चुनाव प्रचार किया और कई जनसभाएं कीं. दलित वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी और राजस्व राज्य मंत्री अनूप प्रधान को भी चुनावी जिम्मेदारी सौंपी हैं. ओबीसी में आने वाले लोध वोटरों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, केंद्रीय सहकारिता मंत्री बीएल वर्मा और सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतारा है. ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने का काम जितिन के कंधों पर इन सबके साथ लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद को प्रबुद्ध वर्ग को समझाने का काम सौंपा गया है ताकि वो ब्राह्मण मतदाताओं को अपनी तरफ कर सकें. चुनाव जीतने में कोई कसर ना बाकी रहे, इसके लिए खुद योगी आदित्यनाथ, केशव मौर्य, भूपेंद्र चौधरी, कपिल देव अग्रवाल, धर्मवीर प्रजापति, जसवंत सैनी और राकेश सचान भी चुनाव प्रचार में डटे हुए हैं. भाजपा के प्रदेश संगठन के नेता का कहना है कि आजमगढ़ के मुकाबले रामपुर पर हमारा ध्यान ज्यादा है क्योंकि इस सीट पर कमल खिलने की गुंजाइश ज्यादा दिख रही है. वोटों का ध्रुवीकरण चाहते हैं सपा नेता समाजवादी पार्टी के नेताओं की पूरी कोशिश है कि वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए और मुस्लिम जो कि बहुसंख्यक हैं यहां, वो एकतरफा साइकिल को वोट करें. सपा के एक नेता ने कहा कि हिंदू वोटों में बंटवारा ना हो इसलिए हमने भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से अपने मंत्रियों और नेताओं को जमीन पर उतारा है. चूंकि बसपा का कोई प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं है, इसलिए दलित वोटों पर हमारा विशेष फोकस है. इस चुनाव के जरिए ही हम उन दलित भाइयों-बहनों का दिल जीतने की कोशिश कर रहे है ताकि 2024 तक ये साथ बना रहे. रामपुर में सपा और भाजपा के बीच ही चुनावी वर्चस्व की लड़ाई है क्योंकि बसपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने यहां से उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. 23 जून को चुनाव आपको बता दें कि 2019 में आजम खान रामपुर लोकसभा सीट से सांसद बने थे मगर 2022 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होने पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके चलते रामपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है. आगामी 23 जून को उपचुनाव के लिए वोट पड़ने हैं और 26 जून को नतीजे भी आ जाएंगे.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |FIRST PUBLISHED : June 22, 2022, 21:45 IST
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