प्रयागराज. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद केस की सुनवाई शुक्रवार को दोपहर 12 बजे के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में शुरू हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की बहस पूरी होने के बाद 6 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि दे दी है. हिंदू पक्ष की ओर से दलील पेश की गई. हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. सबसे पहले हिंदू पक्ष अपनी बची हुई बहस पूरी की. स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर पक्षकार की तरफ से उनके वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी बहस की. हिंदू पक्ष की बहस पूरी होने के बाद यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने भी बहस की. लेकिन, हिंदू पक्ष की ओर से बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने अगली तारीख का निर्धारण कर दिया.
हाईकोर्ट में वाराणसी की अदालत में 31 साल पहले 1991 में दाखिल मुकदमे की सुनवाई हो सकती है या नहीं, इस मामले पर बहस चल रही है. हाईकोर्ट को मुख्य रूप से तय करना है कि एएसआई से खुदाई कराकर सर्वेक्षण कराए जाएं या नहीं. कोर्ट ने आज सुनवाई के बाद अगली तारीख 6 जुलाई को दे दी है. अब आगे की सुनवाई इस तिथि को होगी. अब अदालत को यह तय करना है कि 31 साल पहले 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में दायर वाद की सुनवाई हो सकती है या नहीं.
क्या है पूरा मामलाज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर लंबे समय से विवाद चल रहा है. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991 के तहत यह वाद नहीं चल सकता है. इसके तहत अयोध्या को छोड़कर देश के किसी भी दूसरे धार्मिक स्थल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. इस एक्ट के तहत देश की आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वही स्थिति बरकरार रहेगी. काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्षकार हैं. दोनों पक्षकारों की ओर से कुल छह याचिकाएं दाखिल की गई हैं. मुस्लिम पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद समय बचने पर यूपी सरकार का पक्ष भी रखा जाएगा.
बता दें कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है. मस्जिद का संचालन अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से किया जाता है. मुस्लिम समुदाय मस्जिद में नमाज अदा करता है. वर्ष 1991 में स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर भगवान की ओर से वाराणसी के सिविल जज की अदालत में अर्जी दाखिल की गई है. इस अर्जी में दावा किया गया है कि जिस जगह ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है वहां पहले मंदिर हुआ करता था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी. अब एक बार फिर यह मुद्दा गरमा गया है.
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