काशी-ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कमिश्नर को हटाने की मांग पर सुनवाई पूरी, 9 मई तक फैसला सुरक्षित

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काशी-ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कमिश्नर को हटाने की मांग पर सुनवाई पूरी, 9 मई तक फैसला सुरक्षित



वाराणसी. वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे को लेकर हंगामा मचा हुआ है. मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने वीडियोग्राफी-सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलवाने के लिए शनिवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया. इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. उधर, कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. इस मामले में कोर्ट ने 9 मई को सुनवाई की अगली तारीख तय की है. दरअसल मुस्लिम पक्ष ने वकील आयुक्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि, वकील आयुक्त निष्पक्ष काम नहीं कर रहे हैं.
बता दें कि प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग वाला प्रार्थना पत्र सिविल जज सीनियर डिविजन के कोर्ट में पेश किया गया. मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि कोर्ट कमिश्नर की ओर से पक्षपात किया जा रहा है. प्रार्थना पत्र में मांग की गई कि कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर माननीय न्यायालय स्वयं या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील को कमिश्नर नियुक्त करे, ताकि निष्पक्ष न्याय हो.

मुस्लिम पक्ष द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र की कॉपी

प्रार्थना पत्र में ये भी कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद वकील कमिश्नर मस्जिद के अंदर जाने की जिद कर रहे थे, जबकि ऐसा कोई आदेश माननीय न्यायालय ने नहीं दिया है. आपको बता दें कि सर्वे वाराणसी के सीनियर जज डिविजन के आदेश पर हो रहा है. इससे पहले शुक्रवार को जब सर्वे करने के लिए टीम यहां पहुंची तो दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई थी.

सिविल जज सीनियर डिविजन ने दी अगली तारीख

क्या है पूरा मामलाकाशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस भले ही वर्ष 1991 से वाराणसी के स्थानीय अदालत में चल रहा हो और फिर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही हो, लेकिन मां श्रृंगार गौरी का केस महज साढ़े 7 महीने ही पुराना है. 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने बतौर वादी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन की मांग सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया था, जिसको कोर्ट ने स्वीकार करते हुए न केवल मौके की स्थिति को जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था.
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