DNA: Who is the tennis player Ashleigh Barty Being number one took retirement only at the age of 25 | कौन हैं टेनिस खिलाड़ी Ashleigh Barty? नं.1 होते हुए 25 साल की उम्र में ही ले ली रिटायरमेंट

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Ashleigh Barty Retirement Analysis: दुनिया की नम्बर वन महिला टेनिस खिलाड़ी Ashleigh Barty (ऐश्ली बार्टी) ने सिर्फ 25 साल की उम्र में रिटायरमेंट लेने का ऐलान किया है. Ashleigh Barty (ऐश्ली बार्टी) ऑस्ट्रेलिया की मशहूर टेनिस खिलाड़ी हैं. वो पिछले 114 हफ्तों से यानी लगभग दो साल से दुनिया की नम्बर एक खिलाड़ी बनी हुई हैं. इसी साल उन्होंने Australian Open का खिताब भी जीता था. ये सफलता कितनी बड़ी थी, इसका अन्दाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले 44 साल में ऑस्ट्रेलिया का कोई भी टेनिस खिलाड़ी इस Grand Slam को जीत नहीं पाया था. लेकिन ऐश्ली Barty ने अपने इस सपने को भी पूरा कर लिया. यानी जिस समय वो अपने करियर के पीक पर थीं. सफलता का जो शीर्ष स्थान होता है, वहां पहुंच गई थी, तब उन्होंने अचानक से सन्यास लेने का ऐलान करके सबको हैरान दिया. बड़ा सवाल ये है कि क्या कोई व्यक्ति अपनी सफलता से भी थक सकता है?
टेनिस छोड़ कर क्रिकेट खेलने का फैसला
ऐश्ली बार्टी का कहना है कि उन्होंने टेनिस के खेल में अपने लिए जितने भी सपने देखे थे, वो उन्हें पूरा कर चुकी हैं और इसीलिए अब वो टेनिस से दूर होकर अपने नए सपनों की तरफ़ दौड़ लगाना चाहती हैं. ऐसा नहीं है कि ऐश्ली बार्टी रातों-रात सफल हो गईं और फिर एक दिन उन्होंने अचानक से इस खेल से संन्यास लेने का फैसला ले लिया. जब उन्होंने पहली बार किसी अंतर्राष्ट्रीय टेनिस Tournament में भाग लिया था, तब उनकी उम्र सिर्फ़ 14 वर्ष थी. दुनिया को उनके बारे में पहली बार तब पता चला, जब उन्होंने वर्ष 2011 में Junior Wimbledon का खिताब जीता. इसके बाद वो तीन Grand Slam के Doubles Finals में भी पहुंची. और वर्ष 2014 आते आते वो Doubles श्रेणी में टेनिस की नम्बर वन महिला खिलाड़ी बन गईं. तब उनकी उम्र केवल 17 साल थी. सबको यही लग रहा था कि वो टेनिस की एक महान खिलाड़ी बन सकती हैं. लेकिन उस समय उन्होंने अचानक से टेनिस छोड़ने का ऐलान कर दिया और इसके पीछे ये वजह बताई कि वो अपनी पिछली सफलताओं की वजह से मानसिक तनाव से जूझ रही हैं. इससे उबरने के लिए उन्होंने टेनिस छोड़ कर क्रिकेट खेलने का भी फैसला किया. क्रिकेट के मैदान पर भी वो तमाम चुनौतियों को हरा कर ज़िन्दगी का मैच जीत गईं. उन्होंने बिग बैश नाम की क्रिकेट लीग में 10 मैच खेले और वो 17 महीनों तक इससे जुड़ी रहीं.
वो अपनी सफलता से थक गईं
हालांकि इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें टेनिस कोर्ट पर वापस लौटना चाहिए. ये वापसी वर्ष 2016 में हुई. इसके बाद उन्होंने 2019 में French Open जीता, 2021 में Wimbledon और इसी साल Australian Open का Grand Slam भी अपने नाम किया. वो अपने छोटे से करियर में 15 Singles और 12 Doubles श्रेणी के खिताब जीतने में कामयाब रहीं. इस दौरान उन्हें Prize Money के रूप में 23.8 Million Dollar यानी लगभग 180 करोड़ रुपये की इनाम राशि मिली. यानी उनके पास सबकुछ था. Trophies, 180 करोड़ रुपये की Prize Money और लाखों Fans. लेकिन इसके बावजूद वो अपनी सफलता से थक गईं. इससे पता चलता है कि सफलता की भी अपनी एक क़ीमत होती है. सफल होना और सफलता को बरकरार रखना दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं. ऐश्ली बार्टी शारीरिक रूप से तो मजबूत हैं. उनका शरीर बिल्कुल नहीं थका है, वो पूरी तरह फिट है. लेकिन उनका दिमाग़ थक चुका है. यानी शरीर तो 25 साल की उम्र में है. लेकिन उनका दिमाग़ और उनकी मनोस्थिति 60 वर्ष की रिटायरमेंट वाली अवस्था मे प्रवेश कर चुकी है और वो अब अपनी सफलता से थक गई हैं. उन्हें ये सफलता बोझ लग रही है.
टेनिस के खेल में 14 साल बाद ऐसा हुआ
टेनिस के खेल में 14 साल बाद ऐसा हुआ है, जब किसी महिला खिलाड़ी ने रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहते हुए संन्यास लिया है. इससे पहले बेल्जियम की टेनिस खिलाड़ी.. Justine Henin (जस्टिन हेननिन) ने वर्ष 2008 में अचानक से रिटायरमेंट लेने का ऐलान करके सबको चौंका दिया था. उस समय उनकी उम्र भी 25 वर्ष थी. और वो भी टेनिस की नम्बर वन महिला खिलाड़ी थीं. हालांकि इस रिटायरमेंट के बाद उन्होंने 2010 में फिर से टेनिस कोर्ट पर वापसी की लेकिन वो  कभी कोई बड़ा खिताब नहीं जीत पाई. इसी तरह वर्ष 1983 में Sweden के मशहूर Tennis खिलाड़ी Björn Borg (ब्योन बॉर्ग) ने 26 वर्ष की उम्र में टेनिस का नम्बर वन खिलाड़ी होते हुए संन्यास ले लिया था. इस फैसले ने तब उनके प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को भी हैरान कर दिया था. क्योंकि अपने संन्यास से पहले (ब्योन बॉर्ग) लगातार पांच बार Wimbledon Tournament जीत चुके थे. लेकिन इसके बाद वो अपनी सफलता से थक गए और उन्होंने रिटायरमेंट ले ली.
सफलता आपका इंतजार नहीं करती
1991 में उन्होंने वापसी की लेकिन अपनी दूसरी इनिंग में वो एक भी मैच नहीं जीत पाए. सोचिए, जिस खिलाड़ी ने एक जमाने में लगातार पांच बार Wimbledon Tournament जीता था, वो बाद में एक भी मैच नहीं जीत पाया. इससे ये सीख मिलती है कि.. सफलता उम्र के हर मोड़ पर आपका इंतज़ार नहीं करती. इन खिलाड़ियों को लगता था कि वो प्रतिभाशाली हैं और जिस दिन चाहेंगे, फिर से अपने पुराने दौर को वापस ले आएंगे, लेकिन समय ने बताया कि.. चीज़ें हमेशा एक जैसी नहीं रहती. भले इंसान वही हो.. ब्योन बॉर्ग की तरह अमेरिका की मशहूर टेनिस खिलाड़ी, Tracy Austin (ट्रेसी ऑस्टिन) ने केवल 16 साल की उम्र में US Open का खिताब जीत लिया था. ये एक World Record है, जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है. लेकिन ट्रेसी ऑस्टिन ने भी वर्ष 1994 में सिर्फ़ 21 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था. वो भी अपनी सफलता से थक गई थीं.
सफलता का सिद्धांत और जीत की भूख
ये सूची काफ़ी लम्बी है. हाल ही में जापान की मशहूर टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने भी French Open Tournament से अपना नाम वापस ले लिया था. इस फैसले के पीछे उन्होंने अपनी ख़राब मनोस्थिति को वजह बताया था. सफलता के सिद्धांत और जीत की भूख को आप दो उदाहरणों से समझ सकते हैं. इसमें एक तरफ़ स्पेन के टेनिस खिलाड़ी रफाल Nadal हैं, जिन्होंने इसी साल Australian Open जीतकर, सबसे ज्यादा 21 Grand Slam अपने नाम करने का World Record बनाया था. बड़ी बात ये है कि उस समय नडाल लगभग एक साल बाद कोई Tournament खेल रहे थे. उन्हें इस Tournament से डेढ़ महीने पहले कोरोना भी हुआ था. इसके अलावा उन्हें शरीर में कई चोटें भी आईं थीं. उनके घुटनों की सर्जरी हुई थी. ऐड़ी में चोट की वजह से सर्जरी हुई थी. दाएं पैर में भी उन्हें चोट के बाद सर्जरी करानी पड़ी थी. सर्जरी से उन्हें Appendix का भी इलाज कराना पड़ा था. इस सबके बाद भी वो टेनिस कोर्ट पर खेलने उतरे थे. यही नहीं Australian Open के फाइनल में 35 वर्षीय नडाल का मुकाबला, 26 साल के रशियन खिलाड़ी, Daniil Medvedev (डेनियल मेदवे-देव) से था. खेल की शुरुआत में नडाल दो सेट हार चुके थे. इसके बाद Artificial Intelligence तकनीन ने नडाल के हारने की भविष्यवाणी कर दी थी. मैच शुरू होने से पहले उनके जीतने की उम्मीद सिर्फ़ 36 प्रतिशत बताई गई थी. और दो सेट हारने के बाद तो नडाल की हार 96 प्रतिशत पक्की मान ली गई थी, लेकिन नडाल ने अपनी जीतने की भूख से इस तकनीक को गलत साबित कर दिया. यानी एक तरफ़ तो नडाल हैं जिनके अन्दर 35 साल की उम्र में भी जीत की भूख है. दूसरी तरफ़ ऐश्ली बार्टी है, जिन्होंने 25 साल की उम्र में ही अपनी सफलता से थक कर रिटायरमेंट ले ली है.
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