शानू कुमार/बरेलीः नाथ नगरी बरेली में भोलेनाथ के मंदिरों का अलग रहस्य है और हर मन्दिर की अलग विशेषताएं भी हैं. नाथ नगरी में भगवान शिव के सात मन्दिर हैं. इसलिए बरेली को नाथ नगरी कहा जाता है. सात मंदिरों में से एक मढ़ीनाथ मन्दिर है, जो सुभाषनगर क्षेत्र में बना हुआ है. मढ़ीनाथ मन्दिर जाने के लिए काफी तंग गलियों का सहारा लेना पड़ता है. दरअसल बरेली में मढ़ीनाथ मन्दिर एक प्राचीन मन्दिर है. इस मंदिर में सुबह शाम आरती में भक्तों का तांता लगा रहता है और यह मंदिर के पश्चिमी दिशा में स्थित है.इस मंदिर का इतिहास शताब्दियों पुराना माना जाता है. मंदिर में खास तौर पर सावन के महीने में कांवड़ियों के जत्थों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. वहीं जनश्रुति के अनुसार एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास भुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था. जिसके बाद कुआं खोदते-खोदते यहां शिवलिंग प्रकट हुआ और उस शिवलिंग पर मणिधारी सर्प (सांप) लिपटा हुआ था. जिसको देखकर लोग हैरान रह गए थे. जिसके बाद यहां इस मंदिर की स्थापना की गई और मंदिर का नाम मढ़ीनाथ रख दिया गया. मन्दिर के पुजारी के अनुसार यह मढ़ीयुक्त नाग शिवलिंग की रक्षा करता है और सन 1960 के समय तक इस कुएं से दूध निकलता रहता था. जिसको समय-समय पर श्रद्धालुओं ने भी देखा है.मन्दिर के पुजारी ने बताया इतिहासमन्दिर के महंत प्रेम गिरी के मुताबिक यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है. उनके कई बुजुर्गों ने यहां सेवा की है. जो अब इस दुनिया में नही हैं. महंत ने बताया कि इस मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है. पूरी बरेली के साथ-साथ कई जिलों से लोग आकर यहां माथा टेकते हैं औरआशीर्वाद लेते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का पूरा नाम दूधाधारी मढ़ीनाथ मन्दिर है. महंत ने बताया कि शिवरात्रि पर विशेष तौर पर यहां भीड़ आती है. नाथ नगरी का मंदिर होने की वजह से यहां प्रशासन का भी खास सहयोग रहता है.लोग लंबे समय से आ रहे मंदिरक्षेत्रीय निवासी अभिषेक त्यागी ने बताया कि वह काफी लंबे समय से मंदिर आ रहे हैं और यह नाथ नगरी का मुख्य मंदिर माना जाता है. यह बहुत सच्चा मन्दिर है, जो मनोकामना होती है वह जरूर पूरी होती है. साथ ही उनकी धर्मपत्नी भी मन्दिर में हमेशा आती हैं और उन्होंने कहा मढ़ीनाथ बाबा की उनके परिवार पर विशेष कृपा है..FIRST PUBLISHED : July 15, 2023, 11:19 IST
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