थिक हार्ट सिंड्रोम एक जेनेटिक कंडीशन है, जिसे मेडिकल भाषा में हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HCM) भी कहा जाता है. इसमें दिल की नसें बहुत ज्यादा मोटी होने लगती है, जिससे हार्ट सही तरह से ब्लड पंप नहीं कर पाता आने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है.
HCM का कारण जीन म्यूटेशन होते हैं, जो दिल की मांसपेशियों के विकास को प्रभावित करते हैं. एक स्टडी के अनुसार, दुनियाभर में हर 200 में से 1 व्यक्ति को यह सिंड्रोम है. ऐसे में भारत के तकरीबन 2.86 से 7.2 मिलियन लोगों को इसका खतरा हो सकता है. इसका निदान 90 की दशक में भी हो सकता है.
थिक हार्ट सिंड्रोम (HCM) के लक्षण
डॉ. ऋचा पांडे, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से बनी नेफ्रोलॉजिस्ट बताती हैं कि HCM के बहुत से मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते और वे यह नहीं जानते कि वे इसे झेल रहे हैं, जिससे यह बीमारी एक साइलेंट किलर बनती है. हालांकि, कुछ मरीजों को श्वास की तकलीफ, सीने में दर्द, चक्कर, बेहोशी या दिल की तेज धड़कन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, विशेष रूप से शारीरिक मेहनत करते समय.
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थिक हार्ट सिंड्रोम का निदान
इसका निदान आमतौर पर कुछ आसान टेस्ट जैसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) और इकोकार्डियोग्राम (हार्ट अल्ट्रासाउंड) के माध्यम से किया जाता है, ताकि दिल की मांसपेशियों की मोटाई मापी जा सके. कभी-कभी MRI की आवश्यकता भी हो सकती है. जेनेटिक टेस्टिंग से भी थिक हार्ट सिंड्रोम का निदान किया जा सकता है.
थिक हार्ट सिंड्रोम का इलाज
इस साइलेंट किलर का इलाज स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है. कुछ दवाएं जैसे बीटा-ब्लॉकर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स दिल को आराम देने और ब्ल फ्लो सुधारने में मदद करती हैं. गंभीर मामलों में, दिल की मांसपेशियों की मोटाई को कम करने के लिए सर्जरी या इम्प्लांटेबल डिफिब्रिलेटर (ICD) की आवश्यकता हो सकती है.
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