44 साल से तरस रहे थे भारतीय ओपनर्स, वो रोहित-जायसवाल ने एक झटके में कर दिखाया; टेस्ट क्रिकेट में बनाया ये महारिकॉर्ड

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IND vs WI: रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल की जोड़ी ने टेस्ट क्रिकेट में एक ऐसा महारिकॉर्ड बना दिया है, जिसे बनाने के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के ओपनर्स 44 साल तक तरस रहे थे. यशस्वी जायसवाल और कप्तान रोहित शर्मा के बीच पहले विकेट की रिकॉर्ड साझेदारी से भारत ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट के दूसरे दिन स्टंप्स तक पहली पारी में दो विकेट पर 312 रन बनाकर 162 रन की बढ़त के साथ मैच पर अपना दबदबा कायम कर लिया. दूसरे दिन का खेल खत्म होते समय जायसवाल 143 जबकि विराट कोहली 36 रन बनाकर खेल रहे थे. दोनों ने तीसरे विकेट के लिए  अब तक 72 रन की अटूट साझेदारी कर ली है.
44 साल से तरस रहे थे भारतीय ओपनर्सयशस्वी जायसवाल ने रोहित शर्मा (103) के साथ पहले विकेट के लिए 229 रनों की साझेदारी की जो भारत की तरफ से एशिया के बाहर पहले विकेट की सबसे बड़ी साझेदारी है. इस जोड़ी ने चेतन चौहान और सुनील गावस्कर की जोड़ी को पीछे छोड़ा, जिन्होंने अगस्त 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में पहले विकेट के लिए 213 रन जोड़े थे. जायसवाल ने अपनी पारी में अब तक 350 गेंद का सामना करते हुए 14 चौके जड़े हैं. रोहित की 221 गेंद की पारी में 10 चौके और दो छक्के शामिल रहे. कोहली ने अब तक 96 गेंद की पारी में सिर्फ एक चौका लगाया है.
टेस्ट क्रिकेट में बनाया ये महारिकॉर्ड 
वेस्टइंडीज के कप्तान क्रेग ब्रेथवेट ने आठ गेंदबाजों को आजमाया, लेकिन सफलता डेब्यू कर रहे ऑलराउंडर एलिक अथानाजे (33 रन पर एक विकेट) और जोमेल वारिकन (82 रन पर एक विकेट) को ही मिली. ऑफ स्पिनर रहकीम कोर्नवाल पहले सत्र में प्रभावी नजर आए, लेकिन छाती में संक्रमण के कारण उन्हें ड्रेसिंग रूम वापस लौटना पड़ा. भारत ने दिन की शुरुआत बिना विकेट खोए 80 रन से की. भारतीय बल्लेबाजों ने सुबह के सत्र में कोई गैरजरूरी जोखिम नहीं उठाया. टीम ने इस दौरान कोई विकेट नहीं गंवाया, लेकिन रन भी सिर्फ 66 ही बनाए. दूसरे सत्र में हालांकि भारतीय बल्लेबाजों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 29 ओवर में 99 रन जुटाए.
पिच में अचानक आया ये बदलाव 
सुबह के सत्र में ऑफ स्पिनर कोर्नवाल और बाएं हाथ के स्पिनर वारिकन ने भारतीय बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया, लेकिन विकेट चटकाने में नाकाम रहे. पिच से गेंद के धीमे आने के कारण भारत के सलामी बल्लेबाजों को रक्षात्मक बल्लेबाजी करने में कोई परेशानी नहीं हुई. दिन की शुरुआत 40 रन से करने वाले जायसवाल ने सुबह के सत्र में अपने पहले चौके के साथ अर्धशतक पूरा किया. उन्होंने तेज गेंदबाज अल्जारी जोसेफ पर पुल शॉट से चार रन बटोरे. सुबह के सत्र का सर्वश्रेष्ठ शॉट रोहित के बल्ले से निकला जिन्होंने जोसेफ पर मिड विकेट पर के ऊपर से छक्का जड़ा. उन्होंने वारिकन पर स्क्वायर कट से चौका जड़ने के बाद उनकी फुलटॉस को भी बाउंड्री के दर्शन कराए.
बिना कोई विकेट गंवाए पहली पारी में बढ़त हासिल की
लंच के बाद भारतीय बल्लेबाजों ने रन गति में इजाफा किया और इस दौरान कुछ जोखिम भी उठाए. जायसवाल ने 58वें ओवर में वारिकन की गेंद पर एक रन के साथ भारत को बढ़त दिलाई. यह पहला मौका है जब भारत ने बिना कोई विकेट गंवाए पहली पारी में बढ़त हासिल की है. जायसवाल दूसरे सत्र में स्वच्छंद होकर खेले. उन्होंने जेसन होल्डर के ओवर में दो चौके मारे और वारिकन तथा जोसेफ की गेंद को भी बाउंड्री के दर्शन कराए. रोहित ने इस दौरान स्ट्राइक रोटेट करने को तरजीह दी. जायसवाल ने केमार रोच पर एक रन के साथ 69वें ओवर में भारत का स्कोर 200 रन तक पहुंचाया.
मैदान का आउटफील्ड भी धीमा
जायसवाल डेब्यू कर रहे एलिक अथानाजे पर एक रन के साथ डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए. रोहित ने भी अथानाजे पर चौके के साथ 220 गेंद में अपना 10वां टेस्ट शतक पूरा किया. वह हालांकि अगली ही गेंद पर विकेटकीपर जोशुआ डी सिल्वा को कैच देकर पवेलियन लौट गए. शुभमन गिल भी सिर्फ छह रन बनाने के बाद वारिकन की गेंद को दूसरी स्लिप में अथानाजे के हाथों में खेल गए. दिन के आखिरी सत्र में पिच और धीमी हो गई. मैदान का आउटफील्ड भी धीमा है , जिससे बल्लेबाजों को शॉट खेलने में परेशानी का सामना करना पड़ा.
पिच का मिजाज भांप कर कोई जोखिम नहीं लिया
पिच की धीमी गति का अंदाजा स्टंप माइक से सनी गयी जायसवाल की बात से भी लगाया जा सकता है. जायसवाल कोहली को कह रहे थे, ‘(गेंद को) जोर से मार रहा हूं, जा नहीं रहा.’ कोहली ने भी पिच का मिजाज भांप कर कोई जोखिम नहीं लिया और बड़ा चौका लगाने की जगह दौड़ कर रन चुराने पर ध्यान दिया. जायसवाल शिखर धवन (बनाम ऑस्ट्रेलिया 2013) और पृथ्वी शॉ (बनाम वेस्टइंडीज 2018) के बाद टेस्ट डेब्यू पर शतक बनाने वाले तीसरे भारतीय सलामी बल्लेबाज बन गए. धवन को अपने दूसरे शतक के लिए हालांकि 33 मैचों का इंतजार करना पड़ तो वही शॉ अपने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट करियर का जारी नहीं रख पाए.



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