300 साल पुराना है आवगंगा मरघट में काली का मंदिर, पुजारी के आव्हान पर गंगा हुई थी प्रकट

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300 साल पुराना है आवगंगा मरघट में काली का मंदिर, पुजारी के आव्हान पर गंगा हुई थी प्रकट



धीरज राजपूत/फिरोजाबाद. फिरोजाबाद से लगभग 22 किलोमीटर दूर शिकोहाबाद के मैनपुरी चौराहे के पास मां काली का प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर है. यह मंदिर आप गंगा मरघट के नाम से भी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. इस मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. लाखों लोगों की श्रद्धा इस स्थान से बनी हुई है. लोग अपने कार्यों की अपेक्षा लेकर मां के दरबार में पहुंचते हैं और मां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती है.इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारी कुंभनाथ ने बताया कि वह लगभग 14 साल से सेवा कर रहे हैं. इस मंदिर की स्थापना यहां के पुजारी गंगा दास जी महाराज ने की थी. मंदिर के पास एक तालाब भी मौजूद है जिसे आवगंगा के नाम से जाना जाता है. जहां मां गंगा स्वयं प्रकट हुई थी. वहीं इस मंदिर में मां काली विराजमान है जो सभी भक्तों के कष्टों को दूर करती हैं. मंदिर के पास एक बड़ा श्मशान घाट भी है. इस मंदिर में नवरात्रों और सोमवती अमावस्या के दिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.इस मंदिर के पास प्रकट हुई थी मां गंगामंदिर के पुजारी कुंभनाथ ने बताया कि यहां माता के एक भक्त गंगा दास जी महाराज हुए थे. जिन्होंने अपने शिष्यों की इच्छा पूर्ति के लिए मां गंगा का आव्हान कर उन्हें यहां प्रकट किया था. जिनका तालाब यहां आज भी बना हुआ है. कहा जाता है कि गंगा दास जी महाराज सोमवती अमावस्या पर अपने शिष्यों के साथ गंगा स्नान के लिए नहीं जा सके थे. तभी शिष्यों के कहने पर उन्होंने मां गंगा को अपने त्रिशूल से इसी जगह पर प्रकट किया था. जिसके बाद इसे आवगंगा के नाम से जाना जाने लगा. वही यहां एक नदी भी है जो 35 किलोमीटर तक बहती है जो आवगंगा नदी के नाम से प्रसिद्ध है.मंदिर में होते हैं अनेकों चमत्कारमंदिर के पुजारी कुंभनाथ ने बताया की यहां अनेकों चमत्कार देखने को मिलते हैं. बहुत समय पहले यहां एक पुजारी बाबा पराग नाथ जी हुए थे जिन्होंने एक मृत बच्चे को जीवित कर दिया था. आज भी मंदिर में दर्शन के लिए आसपास ही नहीं बल्कि दिल्ली तक के लोग आते रहते हैं. लाखों भक्त प्रतिवर्ष श्रद्धा भक्ति भाव से मां के दरबार में पहुंचते हैं..FIRST PUBLISHED : August 12, 2023, 19:43 IST



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