24 घंटे घूमता है इस शिव मंदिर के गुंबद का त्रिशूल, हजारों साल पुराना है इतिहास, पद्म पुराण में है वर्णन

admin

24 घंटे घूमता है इस शिव मंदिर के गुंबद का त्रिशूल, हजारों साल पुराना है इतिहास, पद्म पुराण में है वर्णन

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: देश दुनिया में ऐसे तमाम धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध हैं. आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसकी महिमा अपरंपार है. इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल घूमता है. जी हां इस मंदिर को विमलेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां तक कि यह देश दुनिया का एक अद्भुत मंदिर है. क्योंकि हर शिवालय का अरघा उत्तर दिशा में होता है, तो इसका अरघा दक्षिण और पश्चिम के कोण पर है. यह वही मंदिर है जिसका पद्म पुराण में वर्णन किया गया है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी.

प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत देवकली गांव में स्थित इस प्राचीन शिवालय के बारे में पद्मपुराण के दर्दर क्षेत्र महात्म में वर्णित श्लोकों के अनुसार, यत्र साक्षान्महादेवस्य त्रास्ते विमलेश्वरः अर्थात यहां महादेव साक्षात विमलेश्वर नाम से विराजमान हैं.

इसलिए गांव का नाम पड़ा देवकली…श्रुति प्रमाण के अनुसार महर्षि भृगु ने यहां यज्ञ किया था, जिसमें आए सभी देव-देवियों को यहीं ठहराया गया था . इसलिए इस गांव का नाम देवकली पड़ा. वैसे तो इस गांव में सप्त सरोवरों के होने का उल्लेख है किन्तु ज्यादातर सरोवर भर जाने के कारण वर्तमान में केवल एक सरोवर है.

उल्टा है इस शिव मंदिर का अरघामंदिर के पुजारी दिलीप पांडेय  ने बताया कि वह इस मंदिर के लगभग 27 साल से पुजारी हैं. यह मंदिर काफी प्राचीन है. पहले के समय में यह पूरा जंगल हुआ करता था. यहां पर ऋषि मुनियों का निवास था. यह शिवलिंग खुद ही प्रकट हुआ था. ऋषि मुनियों ने विचार किया था कि इसे काशी विश्वनाथ के यहां स्थापित किया जाएगा, लेकिन सुबह होते ही यह शिवलिंग खुद ही मुड़ गया. इस कारण ऋषि मुनियों ने इस शिवलिंग को यही स्थापित कर दिया. हर शिवालय में अरघा उत्तर दिशा में होता है, लेकिन विमलेश्वर नाथ महादेव का अरघा दक्षिण और पश्चिम के कोण पर है.

24 घंटे घूमता रहता है गुंबद का त्रिशूल

पुजारी और श्रद्धालुओं (मिथुन पांडेय अथवा शत्रुघ्न कुमार पांडेय) के मुताबिक इस मंदिर की सबसे बड़ी बात ये है कि इस मंदिर के ऊपर गुंबद पर लगा त्रिशूल सेकंड के सुई की तरह धीरे-धीरे घूमता है. यानी परिक्रमा करता है. इस विमलेश्वर नाथ महादेव से गहरी आस्था जुडी हुई है. जो भी सच्चे मन से इस दरबार में सर झुकाता है उसकी मनोकामना जरुर पूरी होती है. यहां तक की इसमें मत्था टेकने वालों के अंदर अच्छे विचार आने लगते हैं.

Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : December 29, 2024, 09:44 ISTDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Source link