सृजित अवस्थी/पीलीभीत: उत्तरप्रदेश के पीलीभीत शहर को आज बांसुरी व टाइगर्स के लिए जाना जाता है. कुछ सालों पहले तक बान कारोबार भी पीलीभीत की पहचान हुआ करता था. लेकिन वक्त के साथ ये कारोबार लगभग खत्म होने की कगार पर आ गया है. वर्तमान में महज कुछ परिवार ही इस कारोबार को कर रहे हैं.
पीलीभीत जिले को बान और बांसुरी का शहर कहा जाता था. लेकिन गुजरते वक्त के साथ दोनों ही कारोबारों में दुश्वारियां आने लगी. बांसुरी कारोबार को तो ODOP (एक जिला एक उत्पाद) के तहत में लिस्ट होने के बाद कुछ राहत ज़रूर मिली लेकिन बान कारोबार लगभग खत्म होने की कगार पर है. एक समय पर जहां जिलेभर के हजारों परिवार इस कारोबार से जुड़े थे वहीं आज महज कुछ परिवार ही बान कारीगरी कर रहे हैं. ऐसे में अब चारपाई में बुनाई के लिए बान की जगह प्लास्टिक की रस्सियों ने ले लिया है.
ये बना कारोबार की बदहाली का कारणबान कारोबार की बदहाली पर जानकारी देते हुए शहर के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि दरअसल, जिस घास से बान बनाया जाता है. वह जंगलों में पाई जाती है. ऐसे में बान कारीगर जंगलों से ही घास लाकर इस्तेमाल किया करते थे. लेकिन 2014 में पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया. ऐसे में जंगल से घास लाने पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया. कच्चा माल न मिल पाने की वजह से कारोबार प्रभावित होने लगा. वहीं प्लास्टिक की रस्सियों का बढ़ता चलन भी बान कारोबार के लिए काल साबित हुआ है.
.Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 21:48 IST
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