हाइलाइट्सतीन गांव में 8 लाख के इनामी डाकू जगजीवन परिहार ने ऐसी खूनी होली खेली थी जिसकी गूंज आज भी बरकरार हैकभी चौरेला और उसके आसपास के गांव डाकू जगजीवन के आतंक से डरे सहमे रहा करते थेइटावा. आज से 17 साल पहले चंबल घाटी से जुड़े उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बिठोली इलाके के चौरेला ग्राम पंचायत के तीन गांव में 8 लाख के इनामी डाकू जगजीवन परिहार ने ऐसी खूनी होली खेली थी जिसकी गूंज आज भी बरकरार है. इसके बावजूद गांव वाले बेखौफ होकर होली पर्व मनाते है. कभी चौरेला और उसके आसपास के गांव डाकू जगजीवन के आतंक से डरे सहमे रहा करते थे, लेकिन अब इन गावों में खुशहाली लौट आई है. गांव में चहलकदमी इस बात की गवाही दे रही है कि गांव अब डाकुओं के आतंक से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है.
डाकू जगजीवन की खूनी होली के समय कक्षा 12 में पढ़ने वाला दीपेंद्र प्रताप सिंह आज सैनिक बन चुका है. दीपेंद्र की तैनाती राजस्थान के जैसलमेर में है, लेकिन होली पर्व के मद्देनजर दीपेंद्र गांव में आया हुआ है. न्यूज 18 संवाददाता दिनेश शाक्य से एक्सक्लूसिव वार्ता में दीपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वह मध्यप्रदेश के भिंड में रहकर के पढ़ाई कर रहे थे. जैसे ही उसे अपने गांव चौरेला में इस खूनी होली कांड की जानकारी मिली, मन में कइयों तरह के सवाल उठ खड़े हुए. खूनी होली कांड के वक्त पुलिस वाले समय पर नहीं पहुंच पाए. दूसरे दिन पुलिस का पहुंचना हुआ. इसके पीछे क्वारी नदी पर पुल का ना बना होना मुख्य वजह माना गया.
चपरासी से बना था डकैतदीपेंद्र बताते हैं कि जिस स्कूल में पढ़ कर जगजीवन डाकू बना उसी में पढ़ाई कर मैं सैनिक बन गया. डाकू जगजीवन पुलिस के हाथों मारा जा चुका है और वो देश की सेवा करके अपने आप को गौरवांन्वित महसूस कर रहा है. पांच नदियों के आसपास गांव होने के कारण डाकुओं की आवाजाही बड़ी तादात में हुआ करती थी. डाकुओं की निजी लड़ाई ने गांव को जंग का मैदान बना डाला था. दिन में डाकू हाथों में बंदूक लेकर घूमते थे. इस गांव में पुलिस डाकूओ के नाम पर किसी को भी पकड़ करके अंदर कर देती थी. इस गांव में कोई भी टीचर आने को तैयार नहीं था. अगर किसी का भी तबादला कर दिया जाता था, तो वो यहां आने को तैयार नहीं होता था. जगजीवन परिहार इसी स्कूल में पढ़ कर स्कूल चपरासी बना, लेकिन निजी विवादों के कारण जगजीवन डाकू बन गया.
शादी के लिए नहीं आते थे रिश्तेइस गांव में करीब 250 मकान थे, जिनके 100 मकान खंडहर हो गए है. हालात हालात इतने बुरे बन गए थे कि लोगों ने एक दूसरे के मकान तोड़ दिए. दिन दहाड़े एक दूसरे को मौत के घाट उतारा. एक समय तो गांव का हालात ऐसे हो गये थे कि बुजुर्ग और महिला और बच्चों के अलावा कोई आदमी गांव में रहना मुनासिब नहीं समझता था. लड़कियों की शादियों के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था. अपने गांव में कोई बरात लाने के लिए तैयार नहीं होता था. 5 साल तक इस गांव में कोई भी बरात नहीं आई. डाकुओं का इस कदर खोफ बरपा था. लडको की शादी के लिए लोग आते थे, तो अचानक गोलियां चलीं शुरू हो जाती थी. इस कारण कोई भी गांव में लड़कों की शादी के लिए रिश्ता लाना मुनासिब नहीं समझता था.
होली मिलने के बहाने लोगों को बुलाया थादीपेंद्र बताते है कि होली वाली रात बहुत बुरा माहौल था. होली मिलने के बहाने जगजीवन परिहार ने सभी गांव वालो को बुलाया और एक के बाद एक करके गोलियां बरसानी शुरू कर दी. कई लोग घायल हुए. दो लोगों का अपहरण कर लिया गया. खूनी गोली कांड 16 मार्च 2006 को इटावा जिले के बिठौली थाना क्षेत्र के अंतर्गत चौरैला गांव में हुआ था. तब कुख्यात दस्यु सरगना जगजीवन परिहार ने मुखबिरी के शक में होली के दिन अपने गांव चौरैला में ऐसी खूनी होली खेली थी, जिसका दर्द आज भी गांव वाले भूल नहीं सके. साल 2006 में हुए इस खूनी होली कांड के बाद आज भले ही गांव के लोग बेखौफ हो कर होली मनाते है, लेकिन उस मंजर को भुला नहीं सकते. आज नए स्थान पर होली जलाई जाने लगी है.
तीन लोगों की हुई थी हत्यादरअसल, डाकू जगजीवन परिहार ने अपने गैंग के साथ अपने गांव चौरेला और उससे सटे हुए कई गांवों में धावा बोला. सबसे पहले अपने गांव चौरेला में जनवेद सिंह परिहार को बुला कर होली वाले स्थान पर जिंदा जला दिया. डाकू गैंग इसके बाद ललूपुरा गांव पहुंचा, जहां करन सिंह को घर से बुलाकर तालाब के पास गोली मार कर मौत के घाट उतारा दिया. दो हत्या के बाद गैंग ने पुरा रामप्रसाद गांव में धावा बोला। सोते समय दलित जाति के एक शख्स को मौत के घाट उतार दिया.
अधिकतर पुलिस वालों की ड्यूटी सैफई में लगी थीजिस दिन डाकुओ ने खून की होली खेली थी उसी दिन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपने गांव सैफई मे होली खेलने के लिए आये हुए थे. जिस कारण अधिकाधिक पुलिस बल सैफई डयूटी में लगी हुई थी. इस कांड की खबर मिलतेे ही आला अफसर इटावा छोड़कर दूरस्थ चौरैला, ललुपुरा और पुरा रामप्रसाद गांव मे आ पहुंचे थे. तीनों गांव में पुलिस की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे थे. गुस्साए लोग ना केवल पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने मे जुटे हुए थे, बल्कि शवों को उठने भी नही दे रहे थे. बड़ी मुश्किल से सूझबूझ का परिचय देते हुए ना केवल पुलिस अफसरों ने तीनों के शवो को उठवाया बल्कि गुस्साए गांव वालों को शांत करवाया.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Etawah news, UP latest newsFIRST PUBLISHED : March 07, 2023, 09:42 IST
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