अयोध्या: रामनगरी में मणिपर्वत पर झूलनोत्सव के साथ ही अयोध्या में प्रसिद्ध सावन झूला मेला का आगाज हो जाता है. इसी के साथ रामनगरी के मठ-मंदिरों में झूले पड़ जाते हैं. एक पखवाड़े तक अयोध्या में झूलनोत्सव का आनंद दिखाई देता है. प्रभु राम की नगरी अयोध्या सावन के महीने में भक्तों से गुलजार रहती है. लाखों की संख्या में भक्त मठ-मंदिरों में पहुंचकर रामलला को झूला झूलाते हैं. अयोध्या में यह परंपरा कई वर्षों से चली जा रही है. गौरतलब है कि अयोध्या के मंदिरों में झूलनोत्सव की अलग-अलग परंपरा है. रामलला के दरबार में झूलनोत्सव पंचमी तिथि से शुरू होता है जबकि रंग महल मंदिर में सावन मेला लगते ही भगवान झूले पर विराजमान होते हैं . इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.इस कड़ी में जहां प्रभु राम का नामकरण हुआ उस स्थान पर रामलला को 140 किलोग्राम चांदी तथा 700 ग्राम सोने के हिंडोले पर विराजमान कराया गया है .रामलला के लिए सोने-चांदी का खास झूला तैयार किया है, जिसकी कीमत करीब 1.5 करोड़ रुपए हैं, इस झूले में 140 किलो चांदी और 700 ग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है. रामलला सदन में श्रीराम समेत चारों भाई इस झूले पर विराजमान हैं.झूले की खासियतजिस हिंडोले पर रामलला विराजमान हैं उस हिंडोले की अपनी अलग ही खासियत है. झूले की ऊंचाई लगभग 10 फीट तो चौड़ाई 8 फीट तथा गहराई 4 फीट है. झूले पर देवी -देवताओं की आकृतियां बनी हुई है. जिस पर गरुड़ देव अभिनंदन करते हुए दिखाई दे रहे हैं. तथा चांदी पर सोने से नक्काशी की गई है. लगभग 1,5 करोड़ रुपए की लागत से इस झूले को तैयार किया गया है.भक्त भगवान को कजरी गीत सुना कर रिझा भी रहे हैं .क्या है रामलला सदन की मान्यता?रामलला सदन के महंत जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य ने बताया कि त्रेता युग में इस मंदिर में भगवान राम सहित चारों भाइयों के अनेक प्रकार के संस्कार यहीं हुए थे. मान्यता है कि यहीं पर श्री राम सहित चारों भाइयों का नामकरण हुआ था. चांदी-सोने से निर्मित लगभग 1.5 रुपए से प्रभु राम के लिए झूला लगाया गया है. झूले पर भगवान विराजमान हो चुके हैं. झूला भक्तों के दर्शन के लिए भी खोल दिया गया है.FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 20:00 IST