ऋषभ चौरसिया/लखनऊ: लखनऊ के घंटा घर के पास रहने वाले 12 साल के मुदसीर की कहानी आम नहीं है. जिस उम्र में बच्चे खेल कूद और मस्ती करते हैं, वहीं मुदसीर अपने पिता का सहारा बनकर घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर ले रहा है. उनके पिता की तबियत खराब रहती है और वे काम नहीं कर पाते, इसलिए मुदसीर ने अपने छोटे से कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी उठा ली है.मुदसीर रोजाना पिक्चर गैलरी के पास ठेले पर इमली बेचता है और इससे उसे दिन भर में 300 से 400 रुपए की कमाई होती है. मुदसीरने बताया कि वो पिछले एक साल से इमली बेचने के काम में लगा हुआ हैं. इमली बनाने में उसकी मां प्रतिदिन उसकी मदद करती है. मुदसीर की इच्छाएं और सपने अब उनकी घर के आगे छोटे हो गए हैं.घर में बैठना नहीं चाहता थामुदसीर कभी स्कूल नहीं गया, लेकिन जब पिता की तबियत खराब देखा और परिवार की आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं थी तो घर में खाली बैठने और इधर-उधर घूमने के बजाय व्यापार का सोचा जिससे चार पैसा कमा सके. मुदसीर की कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे बचपन की मासूमियत को जीवन की कठिनाइयों ने छीन लिया है. उनकी आँखों में खेलने की चाह नहीं, बल्कि अपने परिवार की चिंता और जिम्मेदारियों की भारी झलक दिखाई देती है.यहां लगता है ठेलाअगर आप मुदसीर के यहां का इमली का स्वाद लेना चाहते है तो आप को सुबह 11 बजे से रात 10 बजे के बीच घंटाघर, पिक्चर गैलरी के पास आना होगा. आप चारबाग रेलवे स्टेशन से ऑटो कैब द्वारा आसानी से पहुंच सकते..FIRST PUBLISHED : July 16, 2023, 16:43 IST
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