11 साल की उम्र में इस गंभीर बीमारी की चपेट में आए थे मेसी, आज दुनिया के सामने इतिहास रचने के करीब| Hindi News

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Lionel Messi: लियोनल मेसी पिछले दो दशक से जो सपना देख रहे हैं, उसे अब उन्होंने करियर के आखिरी पड़ाव में जाकर पूरा किया. 11 साल की उम्र में ग्रोथ हार्मोन की कमी (GHD) जैसी बीमारी से जूझने से लेकर दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में शामिल होने तक मेसी का सफर जुनून, जुझारूपन और जिजीविषा की अनूठी कहानी है. उन्होंने कतर के लुसैल स्टेडियम में अपनी टीम अर्जेंटीना को फीफा वर्ल्ड कप फाइनल में जीत दिलाई. अर्जेंटीना ने फ्रांस को पेनल्टी शूटआउट में हराया. 
दुनिया के सामने इतिहास रचा
रविवार को फ्रांस को हराकर अर्जेंटीना ने वर्ल्ड कप जीत लिया. इसी के साथ मेसी का नाम पेले और डिएगो माराडोना जैसे महानतम खिलाड़ियों की सूची में दर्ज हो गया. इस बहस पर भी विराम लग गया कि माराडोना और मेसी में से कौन महानतम है. देश के लिए खिताब नहीं जीत पाने के मेसी के हर घाव पर भी जैसे मरहम लग गया.
1986 में वर्ल्ड कप जीता तब माराडोना देश के लिए खुदा बन गए
अर्जेंटीना ने जब आखिरी बार 1986 में वर्ल्ड कप जीता तब माराडोना देश के लिए खुदा बन गए. उनके आसपास पहुंचने वाले सिर्फ मेसी थे, लेकिन वर्ल्ड कप नहीं जीत पाने से उनकी महानता पर उंगलियां गाहे बगाहे उठती रहीं. उंगली तब भी उठी जब 2014 में फाइनल में जर्मनी ने अर्जेंटीना को एक गोल से हरा दिया था. सवाल तब भी उठे जब इस वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में सउदी अरब ने मेसी की टीम पर अप्रत्याशित जीत दर्ज की.
मेसी के लिए किसी संजीवनी का काम किया
उस हार ने मानो अर्जेंटीना और मेसी के लिए किसी संजीवनी का काम किया. मैच दर मैच दोनों के प्रदर्शन में निखार आता गया और पिछली उपविजेता क्रोएशिया को एकतरफा सेमीमुकाबले में हराकर वह फुटबॉल के सबसे बड़े समर के फाइनल में पहुंच गए. इस जीत के सूत्रधार भी मेसी ही रहे, जिन्होंने 34वें मिनट में पेनल्टी पर पहला गोल दागा और फिर जूलियर अलकारेज के दोनों गोल में सूत्रधार की भूमिका निभाई. 
देशवासियों के लिए मसीहा बन गए मेसी
आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहे अपने देशवासियों के लिए मसीहा बन गए मेसी और पूरे अर्जेंटीना को जीत के जश्न में सराबोर कर दिया. मेसी का वर्ल्ड कप का सफर 2006 में शुरू हुआ और अब तक वह सबसे ज्यादा 25 मैच खेल चुके हैं. वर्ल्ड कप के इतिहास में अर्जेंटीना के लिए सर्वाधिक 11 गोल कर चुके हैं. उम्र को धता बताकर इस वर्ल्ड कप में चार गोल, दो में सूत्रधार की भूमिका निभाने के बाद तीन ‘मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर’ के पुरस्कार जीत चुके हैं.
क्लब करियर की शुरुआत 17 वर्ष की उम्र में की
रोसारियो में 1987 में एक फुटबॉल प्रेमी परिवार में जन्मे मेसी ने पहली बार घर के आंगन में अपने भाइयों के साथ जब फुटबॉल खेला तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में उनका नाम शुमार होगा. बार्सीलोना के लिए लगभग सारे खिताब जीत चुके पेरिस सेंट जर्मेन के इस स्टार स्ट्राइकर ने 2004 में बार्सीलोना के साथ अपने क्लब करियर की शुरुआत 17 वर्ष की उम्र में की, उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में पहला बलोन डिओर जीता. 
ओलंपिक 2008 में अर्जेंटीना ने फुटबॉल का स्वर्ण पदक जीता
अगस्त 2021 में बार्सीलोना से विदा लेने से पहले वह क्लब फुटबॉल के लगभग तमाम रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे. मेसी ने वर्ल्ड कप में पदार्पण 2006 में जर्मनी में सर्बिया और मोंटेनीग्रो के खिलाफ ग्रुप मैच में किया जिसे देखने के लिए माराडोना भी मैदान में मौजूद थे. 18 वर्ष के मेस्सी 75वें मिनट में सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे. बीजिंग ओलंपिक 2008 में अर्जेंटीना ने फुटबॉल का स्वर्ण पदक जीता तो 2010 वर्ल्ड कप में मेसी से अपेक्षाएं बढ़ गईं. अर्जेंटीना को क्वार्टर फाइनल में जर्मनी ने हराया और पांच मैचों में मेसी एक भी गोल नहीं कर सके. 
मेसी अपने आंसू नहीं रोक सके
चार साल बाद ब्राजील में अकेले दम पर टीम को फाइनल में ले जाने वाले मेसी अपने आंसू नहीं रोक सके जब उनकी टीम एक गोल से हार गई. इसके बाद 2018 में रूस में पहले नॉकआउट मैच में अर्जेंटीना को फ्रांस ने 4-3 से हरा दिया और तीन में से दो गोल मेसी के नाम थे.
माराडोना के करिश्मे को फिर दोहराने का मौका
पिछले चार साल में इस महान खिलाड़ी ने एक ही सपना देखा. वर्ल्ड कप जीतने का. क्वार्टर फाइनल में मिली जीत के बाद खुद मेस्सी ने कहा था,‘डिएगो आसमान से हमें देख रहे हैं और वर्ल्ड कप जीतने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उम्मीद है कि आखिरी मैच तक वह ऐसा ही करते रहेंगे.’ माराडोना के करिश्मे को फिर दोहराने के लिए मेसी के पास रविवार का फाइनल है, जिसका इंतजार अर्जेंटीना के साथ पूरी दुनिया को है. 
(Source Credit – PTI)



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