10,000 प्रश्न, 100 से ज्यादा किताबें! फिर भी मुरादाबाद के इस महान साहित्यकार को क्यों भूल गए लोग?

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10,000 प्रश्न, 100 से ज्यादा किताबें! फिर भी मुरादाबाद के इस महान साहित्यकार को क्यों भूल गए लोग?

Last Updated:March 31, 2025, 14:54 IST
दुर्गा दत्त त्रिपाठी मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार थे, जिन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें और 10,000 प्रश्नों का लेखन किया. वे छायावादी युग के महत्वपूर्ण रचनाकारों में से एक थे. उनकी कृतियां आज भी साहित्य जगत म…और पढ़ेंX

इन साहित्यकार ने दिया था अहम योगदान।पीयूष शर्मा/ मुरादाबाद- मुरादाबाद कई महान साहित्यकारों और इतिहासकारों की भूमि रही है, जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण छाप छोड़ी. इन्हीं में से एक नाम है दुर्गा दत्त त्रिपाठी, जो मुरादाबाद के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों में गिने जाते हैं. उन्होंने 10,000 से अधिक प्रश्नों का लेखन किया और अपने साहित्यिक योगदान के कारण शहर की विभूतियों में से एक माने जाते हैं. उनके कार्यों की आज भी साहित्यिक जगत में चर्चा होती है, और उनके योगदान को सराहा जाता है.

बड़े साहित्यकार थे दुर्गा दत्त त्रिपाठीसाहित्यकार डॉ. राजीव सक्सेना के अनुसार, दुर्गा दत्त त्रिपाठी मुरादाबाद के सबसे बड़े साहित्यकारों में से एक थे. वे छायावादी युग के प्रमुख रचनाकारों में गिने जाते हैं और जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत जैसे साहित्यकारों के समकालीन थे. उन्होंने विभिन्न विधाओं में लेखन किया, जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता और संस्मरण शामिल हैं. उनके लेखन का सबसे महत्वपूर्ण संस्मरण प्रसिद्ध उर्दू कथाकार सआदत हसन मंटो के बारे में था, जिसका शीर्षक था ‘मंटो मिला था’.

लोगों को उनके बारे में है कम जानकारीदुर्भाग्यवश, इतने बड़े साहित्यकार होने के बावजूद नगर के अधिकांश लोगों को उनके बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने लगभग 100 से अधिक पुस्तकें लिखी थीं, और उनका साहित्यिक योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. साहित्य प्रेमियों और युवाओं को उनके कार्यों को पढ़ना और समझना चाहिए, ताकि उनके योगदान को पहचाना जा सके और उनका सम्मान किया जा सके.

साहित्य में दिया महत्वपूर्ण योगदानदुर्गा दत्त त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे एक कवि, कहानीकार, पत्रकार और लेखक थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान दिया. उनकी कुछ प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं-

‘गांधी संवत्सर’ (महाकाव्य)

‘शकुंतला’ (खंड काव्य)

‘तीर्थ शिला’ (काव्य संग्रह)

‘अमर सत्य’ (उपन्यास)

‘मंटो मिला था’ (उपन्यास)

मुरादाबाद के साहित्यिक इतिहास में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उनके कार्यों को पढ़कर साहित्य प्रेमी न केवल साहित्य को बेहतर समझ सकते हैं, बल्कि उनकी लेखनी से प्रेरणा भी ले सकते हैं.
Location :Moradabad,Uttar PradeshFirst Published :March 31, 2025, 14:54 ISThomeuttar-pradesh10,000 प्रश्न, 100 से ज्यादा किताबें! फिर भी मुरादाबाद के इस महान साहित्यकार..

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